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सूरदास के पद पाठ का लेखक परिचय

लेखक – सूरदास 

सूरदास का जन्म – 1478 (अनुमानित)

सूरदास का निधन – 1583

सूरदास का निवास स्थान – दिल्ली के निकट ‘सीही’ नामक ग्राम

सूरदास के पिता – रामदास बैरागी

सूरदास के माता – जमुना दास

सूरदास के पद का सारांश लिखें

1. माता यशोदा ब्रजराज कुँवर को जगा रही हैं कँवल फूल गये हैं- यह संकेत है कि सबेरा आ गया है, भृंग भी लताओं पर आ गये हैं। मुर्गा बाँग दे रहा है। पक्षी कलरव कर रहे हैं। जंगल में उनका कोलाहल हो रहा है। गाय भी गौशाला में बछड़े हेतु रम्भा रही है । चन्द्रमा का प्रकाश मलिन हो रहा है, रवि का प्रकाश बढ़ रहा है। अब चारों ओर गीत गाये जा रहे हैं। अतः हे अम्बुज कर धारी श्याम अब जाग जाओ ।

2. बाल कृष्ण नन्द की गोद में बैठे खा रहे हैं। थोड़ा सा ही खा पाते हैं, कुछ धरती पर गिरा देते हैं। कृष्ण वात्सल्य (संयोग) रस की व्यंजना है आलम्बन बाल कृष्ण और आश्रय यशोदा है। भाषा ब्रज है। उनकी इस समय जो शोभा है, उसको बड़े गौर से नन्दरानी देख रही हैं। उनके सामने नाना प्रकार के व्यंजन हैं- बरी, बरा, बेसन अनेक प्रकार के पकवान हैं। वे अपने हाथ से ही खा रहे हैं। अतः कुछ धरती पर गिराते जाते हैं। पहले उनकी रुचि दही के दोने पर है। मिश्री, दही, माखन मिलाकर अपने मुख में डालते हैं उस समय उनकी शोभा बड़ी धन्य होती है। वे स्वयं खाते हैं नन्द के मुख में भी डालते हैं, यह सौन्दर्य अवर्णनीय है। वास्तव में जिस रस में नन्द और यशोदा विलास कर रहे हैं वह तीनों लोकों में भी नहीं है। भोजन कर जब कृष्ण ने आचमन किया तब सूर की लालसा जूठन पाने की है।

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