You are currently viewing प्रगीत और समाज पाठ का सारांश

प्रगीत और समाज पाठ का लेखक परिचय

लेखक – नामवर सिंह

नामवर सिंह का जन्म – 28 जुलाई 1927

नामवर सिंह का निधन – 19 फरवरी 2019

नामवर सिंह का निवास स्थान – जिअनपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

नामवर सिंह के पिता – नागर सिंह

नामवर सिंह के माता – वागेश्वरी देवी

डॉ० नामवर सिंह हिंदी आलोचना की एक सिखर प्रतिभा थे | जिनका विकास बीसवीं शती के उत्तरार्ध में हुआ ।

प्रगीत और समाज निबंध का सारांश लिखें

इस पाठ्यपुस्तक में संकलित निबंध उनके आलोचनात्मक निबंधों की पुस्तक ‘वाद विवाद संवाद’ से लिया गया है। इस निबंध में हजार वर्षों में फैली हिंदी काव्य परंपरा पर ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि के साथ विचार करते हुए ‘प्रगीत’ नामक काव्य रूप की निरंतरता को हिंदी समाज की जातीय प्रकृति और भाव प्रवाह की उपज के रूप में परिभाषित किया गया हैं । कोई भी काव्य रूप ऐतिहासिक-सामाजिक जरूरतों की उपज और संपूरक हुआ करता है। हिंदो में ‘प्रगीत’ की सामाजिकता और ऐतिहासिकता क्या है और कैसी रही है, हमारी साहित्यिक परंपरा में उसकी अहमियत क्या है इन बातों की पड़ताल यह निबंध अत्यंत संयत और प्रसन्न विवेचन शैली तथा भाषा में करता है। आलोचना – महज गुण-दोष विवेचन से आगे बढ़कर कुछ और भी है; वह इतिहास और परंपरा की पहचान करती हुई सामयिक समस्याओं और तथ्यों को ऐतिहासिक-सामाजिक अंतसंगति में गहराई से पहचानना भी सिखाती है; वह वर्तमान को अधिक गहराई के साथ जानने-समझने की अंतर्दृष्टि जगाती है- यह सब इस निबंध से सीखा जा सकता है। 

कविता पर समाज का दबाव तीव्रता से महसूस किया जा रहा है । इधर आलोचना भी ज्यादातर कविताओं की सामाजिक सार्थकता ढूँढ़ने में ही व्यस्त है। ऐसे वातावरण में गलत समझे जाने का खतरा उठाकर भी मैं विशेष रूप से उन कविताओं की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ जो सीधे-सीधे सामाजिक न होकर अपनी वैयक्तिकता और आत्मपरकता के कारण ‘लिरिक’ अथवा ‘प्रगीत’ काव्य की कोटि में आती हैं । आज चर्चा के लिए इन प्रगीतधर्मी कविताओं को चुनने का एक कारण यह भी है कि समाजशास्त्रीय विश्लेषण अथवा सामाजिक व्याख्या के लिए सबसे कठिन चुनौती भी इन्हीं की ओर से मिलती है।

कविता में जहाँ तक सामाजिक यथार्थ और व्यापक जीवन के चित्रण का प्रश्न है, सामान्यतः दृष्टि प्रबंधकाव्यों और लंबी कविताओं की ओर ही जाती है । प्रगीतधर्मी कविताएँ न तो सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त समझी जाती हैं, न उनसे इसकी अपेक्षा की जाती है, क्योंकि सामान्य समझ के अनुसार वे अंततः नितांत वैयक्तिक और आत्मपरक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति मात्र हैं ।

pragit aur samaj path ka saransh likhen, प्रगीत और समाज निबंध का सारांश, प्रगीत और समाज पाठ के सारांश, प्रगीत और समाज शीर्षक निबंध का सारांश लिखिए,नामवर सिंह के निबंध पर प्रकाश डालिए, प्रगीत और समाज का सारांश pdf, 12th hindi 100 marks chapter 9, 12th hindi 100 marks chapter 9 summary, class 12 Hindi 100 marks all chapters, Hindi Book Class 12 Bihar Board 100 Marks

Leave a Reply