मलयज की जीवनी

सन् 1960 के आसपास ‘नई कविता’ आंदोलन के अंतिम दौर में मलयज का उदय एक कवि के रूप में हुआ था । आरंभ में भाषा, रचनाशैली और संवेदना के तल पर वे नई कविता के परवर्ती रूपों के प्रभाव में थे; किंतु आगे के सामाजिक-राजनीतिक विकास के साथ आए साहित्यिक यथार्थ संबंधी परिवर्तनों के बीच एक ओर वे अपनी कविता में रचना-दर-रचना अनेक महत्त्वपूर्ण बदलावों से गुजरते रहे तो दूसरी ओर उनकी आलोचना का विकास हुआ जो हिंदी में सातवें-आठवें दशक की उपलब्धि कही जा सकती है।

मलयज का परिचय

  • जन्म  :1935 ।

  • निधन  : 26 अप्रैल 1982।

  • जन्म-स्थान  : ‘महुई’, आजमगढ़, उत्तरप्रदेश ।

  • मूलनाम  : भरतजी श्रीवास्तव ।

  • माता-पिता : प्रभावती एवं त्रिलोकी नाथ वर्मा ।

  • शिक्षा  : एम० ए० (अंग्रेजी), इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तरप्रदेश।

  • वृत्ति : कुछ दिनों तक के० पी० कॉलेज, इलाहाबाद में प्राध्यापन । 1964 में कृषि मंत्रालय, भारत सरकार की अंग्रेजी पत्रिकाओं के संपादकीय विभाग में नौकरी।

  • विशेष : छात्र जीवन में क्षयरोग से ग्रसित । ऑपरेशन में एक फेफड़ा काटकर निकालना पड़ा। शेष जीवन में दुर्बल स्वास्थ्य और बार-बार अस्वस्थता के कारण दवाओं के सहारे जीते रहे।

मलयज की रचना

  • कविता : जख्म पर धूल (1971), अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ (1980) ।

  • आलोचना : कविता से साक्षात्कार (1979), संवाद और एकालाप (1984), रामचंद्र शुक्ल (1987)।

  • सर्जनात्मक गद्य : हँसते हुए मेरा अकेलापन (1982), डायरी :

  • संपादक : डॉ० नामवर सिंह । 

मलयज के बारे में कुछ प्रश्न

1. जख्म पर धूल, के कविताकार कौन थे ?

Ans : मलयज

 2. अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ,के कविताकार कौन थे ?

Ans : मलयज

3. कविता से साक्षात्कार ,के लेखक कौन थे ?

Ans : मलयज

4. संवाद और एकालाप , के लेखक कौन थे ?

Ans : मलयज

 5. रामचंद्र शुक्ल  के लेखक कौन थे ?

Ans : मलयज

6. हँसते हुए मेरा अकेलापन , के लेखक कौन थे ?

Ans : मलयज

7. डॉ० नामवर सिंह के संपादक कौन थे ?

Ans : मलयज

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