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सिपाही की माँ पाठ का लेखक परिचय

लेखक – मोहन राकेश

मोहन राकेश का जन्म – 05 जनवरी 1925

मोहन राकेश का निधन – 03 दिसम्बर 1972

मोहन राकेश का निवास स्थान – अमृतसर, पंजाब

मोहन राकेश के पिता – करमचंद गुगलानी

मोहन राकेश के मता – बच्चन कौर

मोहन राकेश नई कहानी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे |  वे बीसवीं शती के उत्तरवर्ती युग के प्रमुख कथाकार एवं नाटककार थे। 

सिपाही की माँ एकांकी का सारांश लिखें

प्रस्तुत एकांकी ‘सिपाही की माँ एक संक्षिप्त रचना है, जिसमे निम्न मध्यवर्ग की एक ऐसी माँ-बेटी की कथावस्तु प्रस्तुत है जिनके घर का इकलौता लड़का सिपाही के रूप में द्वितीय विश्वयुद्ध के मोर्चे पर बर्मा में लड़ने गया है। वह अपनी माँ का इकलौता बेटा और विवाह के लिए तैयार अपनी बहन का इकलौता भाई है। उसी पर घर की पूरी आशा टिकी हुई है। वह लड़ाई के मोर्चे से कमाकर लौटे तो बहन के हाथ पीले हो सकें। माँ एक देहाती भोली स्त्री है, वह यह भी नहीं जानती कि बर्मा उसके गाँव से कितनी दूर है और लड़ाई कैसी और किनसे किसलिए हो रही है। उसका अंजाम ऐसा भी हो सकता है कि सबकुछ खत्म हो जाए ऐसा वह सोच भी नहीं सकती। माँ और छाया की तरह उससे लगी बेटी के भीतर की वह – आशा जो बेटे से जुड़ी हुई है अनेक रूप-रंग ग्रहण करती है। उसकी संपूर्ण नाटकीयता और रंग संभावनाओं का लेखक ने सधे हाथों ऐसा उद्घाटन किया है कि रचना के अंत में एक अपार विषाद मन पर स्थाई प्रभाव छोड़ जाता है ।

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  1. rina kumari

    Rina kumari

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