गाँव का घर पाठ का लेखक परिचय
लेखक – ज्ञानेंद्रपति
ज्ञानेंद्रपति का जन्म – 1 जनवरी 1950
ज्ञानेंद्रपति का निवास स्थान – पथरगामा, गोड्डा, झारखंड ।
ज्ञानेंद्रपति के पिता – देवेन्द्र प्रसाद चौबे
ज्ञानेंद्रपति के माता – सरला देवी
गाँव का घर कविता का सारांश लिखें
समकालीन कवि ज्ञानेन्द्र ग्रामीण परिवेश में आये बदलाव, जो सकारात्मक नहीं नकारात्मक है, को देखकर व्यथित हो उठते हैं। जिस गाँव में उनका बाल्यकाल व्यतीत हुआ, जहाँ की मिट्टी ने उनके तन को संवारा, वहाँ की खट्टी-मीठी स्मृतियाँ उनके मानस पटल पर अंकित हैं, उनका वातावरण मर्यादित, सौम्य, शांत और शालीन था, हर कुछ व्यवस्थित था। बुजुर्ग, युवा ग्वाले, गेरू, लिपी भीत आदि की स्मृतियाँ ताजा है क्योंकि वे भले जीवन के संकेत हैं।
पर अब गाँव में बदलाव आ गया है, वह घर अपना पुरानापन खो चुका है, पंचायतीराज में बिजली बत्ती, टी. वी. आ गया । लालटेन अब आले में धूल फांक रही है। चकाचौंध रोशनी है, फिर भी रात अधिक अंधेरा उगलती हैं, उजाला कृत्रिम है, भीतरी नहीं । लोकगीत, विरहा, आल्हा, चैता, होरी गीत अब कहाँ । कवि की जन्म भूमि में भटकता है, एक अनगाया शोर गीत। सब कुछ बदल गया। अब शहर खींचता है अदालतें, अस्पताल बुलाते हैं और गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है।
gaw ka ghar path ka saransh likhen, गाँव का घर पाठ का सारांश, गाँव का घर पाठ का सारांश, गाँव का घर पाठ का सारांश लिखिए, गाँव का घर कविता पाठ का सारांश pdf, ज्ञानेंद्रपति की लिखी कविता पर प्रकाश डालिए 12th hindi 100 marks chapter 13, 12th hindi 100 marks chapter 13 summary, class 12 Hindi 100 marks all chapters, Hindi Book Class 12 Bihar Board 100 Marks