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उषा पाठ का लेखक परिचय

लेखक – शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह का जन्म – 13 जनवरी 1911

शमशेर बहादुर सिंह का निधन – 1993

शमशेर बहादुर सिंह का निवास स्थान – देहरादून, उतराखंड

शमशेर बहादुर सिंह के पिता – तारीफ सिंह

शमशेर बहादुर सिंह के माता – प्र्भुदेई

उषा शीर्षक कविता का सारांश लिखें

उषा का आगमन, आकाश की आभा तथा चारों ओर व्याप्त सौन्दर्य का यथार्थ अंश इस कविता की विशेषता है। सूर्य के आगमन के पूर्व का समय ही उषा काल कहलाता है।

आकाश एकदम नीला था, वह स्वच्छ भी था । उसकी नीलिमा के मध्य एक उजाला हल्के रूप में झाँकता-सा दिखायी देने लगा। उस प्रात:कालीन बेला में आकाश ऐसा आभासित हो रहा था, मानो राख से लीपा हुआ कोई गीला चौका हो, फिर शनैः-शनैः पूर्व से हल्की लालिमा झलक उठी, उस क्षण आकाश का स्वरूप एकदम बदल जाता है, उस समय उसको (आकाश को ) देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कोई काली सिल (आकाश) लाल केसर से धो दी गयी हो उषा की लालिमा अथवा स्लेट पर लाल खड़िया या चॉक मल दिया गया हो। उसके बाद कवि उषा आगमन की बेला में, आकाश का भव्य चित्र उतारते हुए कहता है- आकाश पर उषा की लाली ऐसी छायी है, मानो किसी नीले जल में किसी गौर वर्णी नायिका की छाया झिलमिला रही हो । जब सूर्योदय होता है तो उसके प्रखर तेज के सम्मुख उषा स्वयं तेजहीन हो जाती है और उसका जादू टूट जाता है और उसके द्वारा निर्मित दृश्य भी समाप्त हो जाते हैं।

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