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तुलसीदास के पद पाठ का लेखक परिचय

लेखक – तुलसीदास

तुलसीदास का जन्म – 1543

तुलसीदास का निधन – 1623

तुलसीदास का निवास स्थान – राजापुर , बाँदा, उत्तर प्रदेश

तुलसीदास के पिता – आत्माराम दुबे

तुलसीदास के माता – हुलसी

तुलसीदास हिंदी के शीर्षस्थ जातीय महाकवि थे |

तुलसीदास के पद का सारांश लिखें

1. यह पद विनयपत्रिका का पद है। तुलसी ने श्रीराम प्रभु की सेवा में एक पत्रिका भेजी थी। उसमें वे माता सीताजी से सिफारिश कराना चाहते हैं । हे माता अगर कभी सुन्दर अवसर या सुयोग सुलभ हो सके तो आप प्रभु श्रीराम को मेरी याद दिला देना । पर यह भी ध्यान रखना – मेरे कष्टों की कथा अवश्य सुना देना। यह भी बताना वह (तुलसी) सब प्रकार से दीन है, अंगहीन भी है, क्षीण – मलीन भी है और पूर्ण पापी भी है। वह इतना निकम्मा है कि वह आपका नाम ले-लेकर अपना पेट भरता है और आपका दास भी कहलाता है। हो सकता है, श्रीराम यह पूछें कि यह कौन है? उस समय मेरी सारी दशा का वर्णन करते हुए मेरा नाम भी बता देना । हो सकता है कृपालु राम जब मेरी यह हालत सुनेंगे तो मेरी बिगड़ी भी बन सकती है। हे माता जानकी जग की जननी आपको अपने जग के वासियों की सहायता करनी चाहिए, तुलसी की कामना है कि हे नाथ वह आपके गुणों का गान करके ही इस संसार से तर जायेगा ।

2. तुलसी एक विभुक्षित भिखारी के रूप में श्रीराम से अपनी भूख शान्त करने के निमित्त भक्ति सुधा रूपी सुन्दर पकवानों की माँग कर रहे हैं। आज प्रात: से ही आपके द्वार पर अड़ा बैठा हुआ मैं गिड़गिड़ाकर माँगने वाले की भाँति रिरिहा रहा हूँ। मुझे मात्र आपके दर्शन रूपी कौर (एक टुकड़ा) की आवश्यकता है और कुछ न चाहिए। कलयुग में भयंकर अकाल पड़ चुका है, प्रत्येक रूप में दुर्व्यवस्था ही दिखायी पड़ रही है। मनुष्य अधोकर्मा होकर भी बड़े स्वप्रीति मंडित है । मानो कोढ़ में खाज हो गयी हो । वे कहते हैं हृदय में अत्यन्त भयभीत होकर मैंने दयाशील साधुजनों से इसका उपाय जानना चाहा, क्या मेरे जैसे पापी हेतु भी कोई शरण है, उन्होंने राम जी का नाम बताया। दैत्य तथा दारिद्रय टालने के लिये कृपासिन्धु श्रीराम तत्पर रहेंगे, हे दशरथ पुत्र श्रीराम आप भक्त शिरोमणि हैं। मैं जन्म-जन्म का भूखा भिखारी हूँ और आप दीनानाथ हैं। तुलसीदास जैसा भूखा भक्त द्वार पर बैठा है, उसे आप भक्तिसुधा रूपी सुस्वादु छककर भोजन जिमाइये।

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