Eps Class 12 Chapter 22 Subjective in Hindi

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उद्यमितीय अनुशासन एवं सामाजिक उत्तरदायित्व

1. साहसिक अनुशासन का क्या अर्थ है?

उत्तर- साहसिक अनुशासन से आशय साहसी द्वारा अपने विभिन्न उत्तरदायित्वों को ठीक ढंग से पूरा करना है। साहसी के कई प्रकार के उत्तरदायित्व हैं। जैसे- समाज के प्रति उत्तरदायित्व, कर्मचारियों के प्रति उत्तदायित्व, ग्राहक के प्रति उत्तरदायित्व तथा देश के कानून के प्रति उत्तरदायित्व । इन उत्तरदायित्वों को ठीक ढंग से पूरा करना ही साहसिक अनुशासन हैं। 

2. सामाजिक दायित्व की परिभाषा दें।

उत्तर- कूण्टज तथा डोनेल के अनुसार, “सामाजिक उत्तरदायित्व अपने स्वयं के हित में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत दायित्व है कि वह विश्वस्त हो कि दूसरों के अधिकार तथा न्यायोचित हित आपस में न टकराएँ। ”  

3. जीव विज्ञान और वातवरण में क्या सम्बन्ध है? 

उत्तर – जीव-विज्ञान एवं वातावरण के बीच परस्पर गहरा सम्बन्ध है। ठीक इसी प्रकार, उद्योग-धन्धों से भी वातावरण काफी सीमा तक प्रभावित होता है। उत्पादन प्रक्रिया से वातावरण की स्थिति उत्पन्न होती है। इस प्रकार का प्रदूषण विभिन्न प्रारूपों में हो सकता है जैसे- शोरगुल के रूप में, धुएँ के रूप में एवं दुर्गन्ध के रूप में। कुछ उपक्रम जीव-विज्ञान के दृष्टिकोण से घातक स्थिति उत्पन्न करने वाले होते हैं। कुछ अन्य कारण भी हैं, जैसे- जंगल का कटाव, अत्यधिक मोटर गाड़ी के प्रयोग का प्रचलन आदि जो मनुष्य एवं जानवरों के लिए घातक साबित हो रहे हैं। अतः साहसी को इस दैत्य रूपी प्रदूषण के प्रति अपने दायित्व को स्वीकार करना चाहिए तथा प्रदूषण पर नियन्त्रण रखने में अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए क्योंकि प्रदूषण मनुष्य के स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित करता है। प्रदूषण के घातक प्रभावों को ध्यान मे रखते हुए साहसी को पूर्ण अनुशासित दायरे में रहते हुए ही अपने कार्य का निष्पादन करना चाहिए तथा वातावरण को स्वच्छ एवं प्रदूषित रखने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। 

4. आपूर्तिकर्ताओं के प्रति उद्यमी के क्या दायित्व हैं?

उत्तर- (i) आपूर्तिकर्ता के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखना, (ii) उन्हें उचित समय पर भुगतान करना, (iii) उनकी शिकायतों को सुनना तथा निराकरण करना, (iv) आपूर्ति के लिए पर्याप्त समय देना, (v) अपनी आवश्यकताओं की पूर्व जानकारी देना, (vi) व्यापारिक संविदा (contracts) पर कायम रहना ।

5. समाज के सामान्य लोगों के प्रति उद्यमी के क्या दायित्व हैं ? अथवा (0r) समाज के प्रति उद्यमी के कोई तीन दायित्व बतायें।

उत्तर- सामाजिक अंग होने के चलते साहसी का दायित्व अपने आस-पास के सामान्य लोगों के प्रति भी बनता है। जैसे- स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना ।  उद्योग कारखाने के आस-पास के इलाके में स्वच्छता, जलापूर्ति, यातायात, रोशनी की व्यवस्था करना ।  स्थानीय लोगों हेतु स्वास्थ्य एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना । 

6. पर्यावरण के प्रति उद्यमी का दायित्व बताइए।

उत्तर- पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करना अर्थात् इसे गन्दा, दूषित, प्रदूषित करना एक ऐसा संगीन अपराध है जो वर्तमान पीढ़ी को नुकसान पहुँचाता ही है, साथ में भावी पीढ़ी के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह लगा देता है। औद्योगिक उपक्रम किसी न किसी तरह पर्यावरण को प्रदूषित करते ही हैं। अतः उद्यमी का यह परम दायित्व है कि पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचे। 

7. उद्यमी के प्रति समाज के कोई दो दायित्व बतायें।

उत्तर- उद्यमी के प्रति समाज के तीन उत्तरदायित्व इस प्रकार हैं-
(i) व्यवसायी के कर्मचारी को इस विचार से कार्य करना चाहिए कि व्यवसाय का हित सुरक्षित रहे। हमेशा स्वयं के लाभ से परे संस्था का लाभ भी देखना चाहिए।
(ii) आपूर्तिकर्ताओं का यह दायित्व होता है कि साहसी द्वारा क्रय किए गए कच्चे माल / सामान / उपकरण आदि की आपूर्ति सही किस्म, सही वजन, सही दाम और सही समय पर करता रहे। 

8. क्या उद्यमी अपने प्रतिस्पद्ध के प्रति भी जवाबदेह होता है? 

उत्तर-  हाँ, उद्यमी अपनी प्रतिस्पद्ध के प्रति भी जवाबदेह होता है। किसी भी क्षेत्र में प्रतियोगिता विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। प्रतियोगी रहने से उद्यमी हमेशा जागरूक बना रहता है क्योंकि उसमें हमेशा अपने प्रतियोगी से आगे निकलने की चाहत होती है। अतः प्रतियोगी को दुश्मन नहीं बल्कि सुधारक मानते हुए साहसी इनके प्रति भी जवाबदेह होता है। 

9. सरकार के प्रति उद्यमी का दायित्व बतायें।

उत्तर- सरकार के प्रति साहसी के निम्नांकित उत्तरदायित्व होते हैं-
(i) देश के आर्थिक विकास में योगदान देना। (ii) सरकारी अधिनियम, कानूनों, निर्देशों का पालन करना। (iii) कर का सही समय पर भुगतान करना। (iv) किसी राजनीतिक पार्टी विशेष का समर्थन नहीं लेना। (v) मिलावट, चोरबाजारी, रिश्वतखोरी रोकने में मदद करना। (iv) बिक्री के बाद भी आवश्यक सेवा प्रदान करना, अच्छी और करना । 

10. अपने कर्मचारियों के प्रति साहसी के क्या मुख्य दायित्व हैं? 

उत्तर – कर्मचारियों के प्रति साहसी के प्रमुख दायित्व इस प्रकार हैं- (i) कर्मचारी अपने मालिक से सन्तुष्ट रहे । (ii) कर्मचारी को उचित वेतन मिलना चाहिए। (iii) कार्य के घण्टे एवं कार्य की दशाएँ ठीक हों । (iv) नौकरी में स्थायित्व एवं पदोन्नति का अवसर मिलना चाहिए। 

11. प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं? 

उत्तर – प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं- (i) मोटर गाड़ियाँ तथा यातायात, (ii) कारखानों की स्थापना, (iii) जंगलों की कटाई, (iv) बढ़ती हुई जनसंख्या, (v) कृषि के क्षेत्र में खादों का प्रयोग इत्यादि । 

12. ग्राहकों के प्रति उद्यमी के कोई चार दायित्व बताइए।

उत्तर- ग्राहकों के प्रति उद्यमी के पाँच दायित्व निम्न प्रकार हैं-
(i) अच्छा माल, सही दाम और सही तौल पर उपलब्ध कराना।

(ii) माल की कमियों को स्पष्ट करना ।

(iii) गलत प्रचार, विज्ञापन देकर तथ्य नहीं छुपाना।

(iv) बिक्री के बाद भी आवश्यक सेवा प्रदान करना, अच्छी और करना । 

13.अनुशासन क्यों आवश्यक है? 

उत्तर- अनुशासन निम्न कारणों से आवश्यक है-
(i) उद्यमी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

(ii) दीर्घकालीन लाभ नहीं मिल सकता।

(iii) व्यवसाय की ख्याति धूमिल पड़ सकती है।

(iv) ग्राहकों के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है।

(v) समाज की उपेक्षा झेलनी पड़ती है।

(vi) सरकार और कानून सजा देते हैं।

14. एक उद्यमी समाज को क्या देता है?

उत्तर- एक उद्यमी समाज को निम्न सेवाएँ प्रदान करता है-
(i) उपभोक्ता को उत्पाद/सेवा देता है।

(ii) महाजन को बकाया चुकाता है।

(iii) श्रम कार्यचारी को वेतन देता है।

(iv) भू-पति को किराया जाता है।

(v) सरकार को कर देता है। 

15. एक उद्यमी समाज से क्या प्राप्त करता है? 

उत्तर- एक उद्यमी समाज से विकास में सहयोग प्राप्त करता है। लोगों के अनावश्यक हस्तक्षेप, रोकाबन्दी, काम रोको आदि मुद्दों पर सहयोग प्राप्त करता है। कच्चे माल की प्राप्ति, श्रम आपूर्ति, सुरक्षा आदि में सहयोग प्राप्त करता है। भूमि व पूँजी की प्राप्ति में समाज से सहयोग लेता है।

16. सामाजिक उत्तरदायित्व से आप क्या समझते हैं? समाज के सामान्य लोगों के प्रति उद्यमी के क्या दायित्व हैं ? अथवा (Or) समाज के प्रति व्यवसायी का क्या दायित्व है? इसके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर- सामाजिक उत्तरदायित्व (Social Responsibilities) – अनुशासन का सामाजिक दायित्व के साथ गहरा रिश्ता (Relation) होता है क्योंकि सामाजिक दायित्व का बोध ही साहसी को अनुशासित रहने की सीख देता हैं। सामाजिक दायित्व एक व्यापक धारणा हैं जिसको विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग ढंग से परिभाषित किया है जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं-
1. एच. आर. बोबेन के अनुसार, “सामाजिक उत्तरदायित्व से आशय उन नीतियों को लागू करना, उन निर्णयों को लेना अथवा उन कार्यों को करना है जो समाज के उद्देश्यों एवं मूल्यों के लिये वांछनीय हैं।”

2. कूण्टज तथा ओ डोनेल के अनुसार, “सामाजिक उत्तरदायित्व अपने स्वयं के हित में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत दायित्व है कि विश्वस्त हो कि दूसरों के अधिकार तथा न्यायोचित हित न टकरायें। “
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सामाजिक उत्तरदायित्व उन सभी कार्यों का सम्मिश्रण है जिनसे सामाजिक हितों की रक्षा होती हो तथा एक सामाजिक पक्ष का व्यक्तिगत स्वार्थ दूसरे स्वार्थ से टकराये नहीं बल्कि एक-दूसरे का पूरक बन सके।
सामाजिक अंग होने के चलते साहसी का दायित्व अपने आस-पास के सामान्य लोगों के प्रति भी बनता है। जैसे-

(i) स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना।

(ii) उद्योग कारखाने के आस-पास के इलाके में स्वच्छता, जलापूर्ति, यातायात, रोशनी की व्यवस्था करना।

(iii) स्थानीय लोगों हेतु, स्वास्थ्य एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना।

(iv) कुछ पिछड़ी हुई बस्तियों को गोद लेकर उसका विकास करना।

(v) धर्मशाला, मन्दिर, पार्क, क्रीड़ा स्थल, पुस्तकालय आदि की सुविधा प्रदान करना।

17. उद्यमी के प्रति समाज के उत्तरदायित्वों का वर्णन करें।

उत्तर- ताली एक हाथ से नहीं बजती अर्थात् जब समाज उद्यमी से अनेक अपेक्षाएँ रखता है तो समाज को भी चाहिये कि वह साहसी के प्रति संवेदनशील रहे और इसके उत्तरोत्तर विकास में सहयोग दे। दोनों पक्ष अपने-अपने दायित्व को ठीक से समझकर इसका निर्वहन करें तो दोनों ही लाभान्वित होंगे। जिस तरह साहसी के ऊपर समाज के प्राय: हर क्षेत्र का उत्तरदायित्व है इसी तरह समाज भी साहसी के प्रति उत्तरदायी होता है। अतः इस दायित्व में निम्नांकित बातों का ध्यान रखना चाहिये-

(i) व्यवसाय के कर्मचारी को इस विचार से कार्य करना चाहिये कि व्यवसाय का हित सुरक्षित रहे। हमेशा स्वयं के लाभ से परे संस्था का लाभ भी देखना चाहिये। अनावश्यक दृढ़ता, घेराबन्दी, काम रोको आदि से परहेज रखना चाहिये। आचार संहिता का पालन करते हुए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कर्मचारियों को अपना कार्य करना चाहिये । व्यवसाय के प्रत्येक कार्य में सहयोग की भावना रखते हुए इसे अपना आश्रम समझना चाहिये।

(ii) यह बात सही है कि उपभोक्ता बाजार का राजा है जिसके प्रति साहसी का असीम दायित्व बनता है किन्तु उपभोक्ता रूपी राजा को भी साहसी की मान-मर्यादा, मजबूरियाँ आदि समझते हुये टकराव के बदले समझौते का दृष्टिकोण अपनाना चाहिये। अपनी आवश्यकता, पसन्द, रुचि की जानकारी देते रहना चाहिये। उधार खरीद की स्थिति में समय पर भुगतान करना चाहिये। उन्हें यह समझना चाहिये कि साहसी पैसे लेकर उन्हें सिर्फ सामान / वस्तु ही नहीं देता बल्कि उन्हें घर बैठे सुदूर जगहों से सामान लाकर उनकी आवश्यकता तुरन्त पूरी करता है। 

(iii) आपूर्तिकर्ताओं का यह दायित्व होता है कि साहसी द्वारा क्रय किये गये कच्चे माल / सामान/ उपकरण आदि की आपूर्ति सही किस्म, सही वजन, सही दाम और सही समय पर करता रहे। कोई माल खराब निकल गया हो तो उसे वापस लेने के लिए तैयार रहे। साहसी की जरूरत के अनुसार उधार की सुविधा हेतु भी तत्पर रहे।

(iv) वित्तीय संस्थानों या अन्य ऋणदाताओं का भी यह दायित्व है कि साहसी को कम-से-कम ब्याज की दर पर अधिक-से-अधिक ऋण सुविधा प्रदान करके उसके विकास में अपना योगदान दें। यदि किसी ऋण की वापसी साहसी समय पर नहीं कर पा रहा तो उसकी मजबूरी और आवश्यकता का ध्यान रखते हुए सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये ।

(v) सरकार को यह देखना चाहिये कि साहसी के विकास में उसकी कोई नीति रोड़ा नहीं बने क्योंकि साहसी ही विकास का दूत होता है। अतः हर कदम पर इसके विकास के मार्ग को प्रशस्त बनाते रहना होगा। साहसी को पर्याप्त आधारभूत संरचना की सुविधा एवं सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। औद्योगिक, व्यापारिक नीति ऐसी बनानी चाहिये जो सुदृढ़ हो। लाइसेंस लेने, पंजीकरण कराने, कर जमा करने आदि की प्रक्रिया आसान एवं सुलझी होनी चाहिये । 

(vi) उपक्रम के स्थानीय लोगों को भी साहसी के साथ सहयोगात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिये। उन्हें यह समझना चाहिये कि जो भी उपक्रम उनके क्षेत्र में लगता है, उसमें उनका भी दीर्घकालीन लाभ शामिल होता है। इस तरह समाज भी साहसी के प्रति उत्तरदायी होता है। यदि कोई साहसी अपने उद्देश्य में कहीं पिछड़ रहा है तो उसकी स्वयं की कमी के अलावा समाज भी इसके लिए दोषी है। यह पिछड़ा हुआ साहसी एक दिन समाज पर बोझ बन जायेगा। फलत: समाज को भी यह देखना चाहिये कि समाज में नये-नये सफल साहसियों का समूह तैयार हो और ये समाज का बोझ नहीं बल्कि सम्पत्ति प्रमाणित हो सकें। 

18. एक उद्यमी के समाज के प्रति क्या उत्तरदायित्व होते हैं? अथवा (Or) सामाजिक दायित्व का क्या अर्थ है ? 

उत्तर – उद्यमी समाज को प्रभावित करता है तथा स्वयं भी समाज की गतिविधियों से प्रभावित होता रहता है। समाज के प्रति उद्यमी के दायित्वों को हम निम्न प्रकार देख सकते हैं-

1. ग्राहकों के प्रति उत्तरदायित्व (Responsibility towards the Customers)— क्रेता/ग्राहक बाजार का राजा है। इसकी प्रसन्नता और संतुष्टि पर ही व्यवसाय का अस्तित्व और भविष्य निर्भर करता है। अतः साहसी का सबसे पहला दायित्व अपने ग्राहकों के प्रति बनता है कि वह हर हालत में इनकी संतुष्टि का ध्यान रखे। कुछ उद्यमी अधिक लाभ के लिये इस दायित्व का निर्वाह नहीं करते किन्तु इस हालत में उन्हें क्षणिक लाभ अवश्य मिल जाता है पर धीरे-धीरे उपभोक्ता स्वयं या समाज या सरकार उसे इसकी सजा देने लगता है। साहसी को दीर्घकालीन और स्थायी लाभ का ध्यान रखते हुए ग्राहक के प्रति अपने दायित्व के निर्वाह में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिये। इस दायित्व के अन्तर्गत निम्नांकित मुख्य बातें आनी चाहिये-
(i) अच्छा माल, सही दाम और सही तौल पर उपलब्ध कराना,

(ii) माल की कमियों को स्पष्ट करना,

(iii) गलत प्रचार, विज्ञापन देकर तथ्य नहीं छुपाना,

(iv) बिक्री के बाद भी आवश्यक सेवा प्रदान करना,

(v) अच्छी और मजबूत पैकिंग करना

(vi) माल की आपूर्ति सही समय पर करना,

(vii) जमाखोरी, कालाबाजारी नहीं करना।

2. कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायित्व (Responsibility towards Employees ) – कोई भी उद्योग-व्यापार उद्यमी अकेले नहीं चला सकता। वह इसका स्वामी हो सकता है, नेतृत्व दे सकता है, प्रबन्धक हो सकता है किन्तु इसके संचालन की जिम्मेदारी इसके कर्मचारियों के ऊपर ही होती है । सन्तुष्ट कर्मचारी ही वे बहादुर सैनिक होते हैं जिनके चलते व्यावसायिक सफलता की जंग लड़ाई जीती जा सकती है। अतः सफलता की कुंजी (key) जिन कर्मचारियों के हाथ में हो और साहसी इनके प्रति अपने दायित्वों का ध्यान नहीं रखते तो इसके भविष्य की कल्पना आसानी से की जा सकती है। इस दायित्व के निर्वाह में उद्यमी को देखना चाहिये कि-

3. आपूर्तिकर्ताओं के प्रति उत्तरदायित्व (Responsibility towards the Suppliers) – उद्यमी चाहे क्रय-विक्रय का कार्य करे या वस्तु का उत्पादन करे, उसे कच्चा माल, आवश्यक उपकरण आदि की खरीद करनी ही पड़ती है। जिनसे ये वस्तुएँ खरीदी जाती हैं, उन्हें आपूर्तिकर्ता कहा जाता है। इनके प्रति भी उद्यमी के कुछ उत्तरदायित्व हैं जिनका निर्वहन उसे करना आवश्यक है जैसे-
(i) आपूर्तिकर्ता के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखना,

(ii) उन्हें उचित समय पर भुगतान करना,

(iii) उनकी शिकायतों को सुनना तथा निराकरण करना,

(iv) आपूर्ति के लिये पर्याप्त समय देना,

(v) अपनी आवश्यकताओं की पूर्व जानकारी देना,

(vi) व्यापारिक संविदा (contracts) पर कायम रहना ।

4. ऋणदाताओं के प्रति उत्तरदायित्व (Responsibility towards Creditors) – उद्यमी चाहे कितना भी आर्थिक रूप से सम्पन्न क्यों ना हो, उसे अपने उद्योग-व्यवसाय के लिये ऋण लेना ही पड़ता है। हाँ, इसकी मात्रा आवश्यकतानुसार कम या अधिक हो सकती है पर ऋण से अछूता नहीं रहा जा सकता है। ऋण प्रदान करने वाले व्यक्ति, फर्म, संस्था ‘ऋणदाता’ कहलाते हैं। ये ऋणदाता ऋण देकर व्यवसाय को संजीवनी प्रदान करते हैं। अत: इनके प्रति भी उद्यमी का दायित्व बनता है जो निम्न प्रकार है-
(i) ऋण की वापसी एवं ब्याज दर का भुगतान तय किये गये समय-सीमा के अन्दर करना,

(ii) उनके ऋण को सुरक्षा प्रदान करना,

(iii) उन्हें गुमराह नहीं करना,

(iv) व्यवसाय से सम्बन्धित जानकारी प्रदान करना।

5. सरकार के प्रति दायित्व (Responsibility towards Govern- ment) – सरकार अभिभावक के रूप में उद्योग, व्यापार, व्यवसाय को संरक्षण प्रदान करती है। विभिन्न नियम, उपनियम बनाकर तथा औद्योगिक नीति बनाकर उस पर चलने के लिये प्रेरित करती है अतः सरकार के प्रति साहसी के निम्नांकित उत्तरदायित्व होते हैं-
(i) देश के आर्थिक विकास में योगदान देना,

(ii) सरकारी अधिनियम, कानूनों, निर्देशों का पालन करना,

(iii) सही कर (Tax) का सही समय पर भुगतान करना,

(iv) किसी राजनीतिक पार्टी विशेष का समर्थन नहीं लेना,

(v) मिलावट, चोरबाजारी, रिश्वतखोरी रोकने में मदद करना ।

6. प्रतियोगियों के प्रति उत्तरदायित्व (Responsibility towards Competitors) – किसी भी क्षेत्र में प्रतियोगिता विकास का मार्ग प्रशस्त करती है । प्रतियोगी रहने से उद्यमी हमेशा जागरूक बना रहता है क्योंकि उसमें हमेशा अपने प्रतियोगी से आगे निकलने की चाहत होती है। अतः प्रतियोगी को दुश्मन नहीं बल्कि सुधारक मानते हुये साहसी इनके प्रति भी उत्तरदायी होता है। प्रतियोगियों से स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा बनाना अर्थात् उन्हें व्यक्तिगत हानि पहुँचाने की बात नहीं सोचनी चाहिये। प्रतियोगियों के साथ भाईचारा एवं सौहार्द का वातावरण बनाये रखना चाहिये।

7. पर्यावरण के प्रति दायित्व (Responsibility towards Environment)—पर्यावरण के साथ कोई छेड़-छाड़ करना अर्थात् इसे गंदा, दूषित प्रदूषित करना एक ऐसा संगीन अपराध है जो वर्तमान पीढ़ी को नुकसान पहुँचाता ही है, साथ में भावी पीढ़ी के भविष्य पर भी प्रश्न चि लगा देता है। औद्योगिक उपक्रम किसी न किसी तरह पर्यावरण को प्रदूषित करते ही हैं। अतः उद्यमी का यह परम दायित्व है कि पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचे। औद्योगिक रसायन, कचरे आदि को जल में प्रवाहित नहीं करके इसका सही इस्तेमाल करना चाहिये। व्यक्तिगत लाभ पर्यावरण को दूषित या नष्ट करके नहीं कमाना चाहिये । सरकार इस ओर गम्भीर हैं, वह इसकी इजाजत नहीं देती फिर भी अपने स्तर से भी उद्यमी को इस और जागरूक करना चाहिये ।

8 सामान्य लोगों के प्रति दायित्व (Responsibility towards Common People ) – सामाजिक अंग होने के चलते साहसी का दायित्व अपने आस-पास के सामान्य लोगों के प्रति भी बनता है। जैसे-
(i) स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना,

(ii) उद्योग कारखाने के आस-पास के इलाके में स्वच्छता, जलापूर्ति, यातायात, रोशनी की व्यवस्था करना,

(iii) स्थानीय लोगों हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना,

(iv) कुछ पिछड़ी हुई बस्तियों को गोद लेकर उसका विकास करना,

(v) धर्मशाला, मन्दिर, पार्क, क्रीड़ा स्थल, पुस्तकालय आदि की सुविधा प्रदान करना। 

 

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