Eps Class 12 Chapter 13 Subjective in Hindi

12th Entrepreneurship Chapter 13 Subjective : यहाँ आपको class 12th eps chapter 13 Subjective questions मिलेगी  जो  board exam 2024 के लिए important होने वाली है।सम-विच्छेद विश्लेषणsubjective questions is very important for board exam 2024. eps class 12 chapter 13 subjective question answer in hindi

सम-विच्छेद विश्लेषण

1. घटना कोण क्या है?

उत्तर- घटना कोण एक ऐसा कोण है जहाँ पर एक विक्रय रेखा कुल लागत रेखा को काटती है, जिसका अर्थ यह है कि लागत तथा विक्रय के मध्य काफी अन्तर है।

2. अंशदान क्या है?

उत्तर- बिक्री एवं सीमान्त लागत के अन्तर को अंशदान कहते हैं। यह स्थिर लागत एवं लाभ के बराबर होता है।

अंशदान = विक्रय मूल्य अंशदान स्थिर लागत + लाभ

3. सुरक्षा सीमा क्या है?

उत्तर- वास्तविक बिक्री का सम-विच्छेद बिक्री पर आधिक्य को सुरक्षा सीमा कहते हैं। यह वास्तविक बिक्री एवं सम-विच्छेद पर बिक्री का अन्तर है। सुरक्षा सीमा वास्तविक बिक्री सम-विच्छेद बिक्री।

4. सम-विच्छेद बिन्दु का निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर – सम-विच्छेद विश्लेषण के अन्तर्गत परियोजना से होने वाले लाभ की मात्रा को ज्ञात किया जाता है जिससे संस्था के समस्त आगमों एवं लागतों का अध्ययन के द्वारा विक्रय मात्रा के विभिन्न स्तरों पर होने वाले लाभ का पता लगाया जाता है। सम-विच्छेद वह बिन्दु है जिस पर संस्था के समस्त आय और व्यय बराबर होते हैं लेकिन इस बिन्दु से विक्रय की मात्रा अधिक होने पर संस्था को लाभ होने लगता है। सम-विच्छेद विश्लषण के द्वारा उत्पादन के विभिन्न स्तरों पर प्राप्त होने वाले लाभों की मात्रा ज्ञात की जा सकती है।

5. सम-विच्छेद विश्लेषण क्यों आवश्यक है?

उत्तर- सम विच्छेद विश्लेषण की आवश्यकता निम्न कारणों से है-

(i) नैदानिक यन्त्र- यह विश्लेषण प्रबन्ध के समक्ष कारणों का निदान प्रस्तुत करता है।

(ii) जोखिम मूल्यांकन – जोखिम के मूल्यांकन में सम-विच्छेद विश्लेषण काफी उपयोगी सिद्ध होता है। यह आदेश स्वीकृति, पाली – कार्य, विक्रय-मिश्रण, खरीदो और बनाओं आदि निर्णय के सम्बन्ध में काफी सहायक प्रतीत होता है।

(iii) लाभ-सुधार – सम-विच्छेद विश्लेषण के अन्तर्गत सम-विच्छेद बिन्दु एवं लाभ- मात्रा अनुपात की गणना की जाती है जिसके आधार पर लाभ को प्रभावित करने वाले कारकों की जानकारी प्राप्त की जाती है।

6. सम- विच्छेद विश्लेषण को परिभाषित करें। अथवा (Or) सम-विच्छेद विश्लेषण क्या होता है? परिभाषित करें।

उत्तर- सम-विच्छेद विश्लेषण किसी व्यावसायिक इकाई के आगम एवं लागत का सम्बन्ध बिक्री के साथ का अध्ययन करता है। बिक्री का वह बिन्दु जहाँ व्यवसाय को न लाभ और न हानि हो, सम-विच्छेद बिन्दु कहलाता है। यहाँ विक्रय मूल्य कुल लागत के बराबर होता है। सम-विच्छेद बिन्दु उत्पादन या बिक्री का वह बिन्दु होता है जिस पर फर्म को न लाभ होता है और न हानि। इसे ‘अलाभ बिन्दु’ (No Profit Point) या ‘शून्य हानि बिन्दु’ (Zero Loss Point) भी कहते हैं इसकी कुछ परिभाषा निम्न प्रकार है- चार्ल्स टी. हॉर्नग्रेन के अनुसार, “सम-विच्छेद बिन्दु बिक्री मात्रा का वह बिन्दु है जिस पर कुल आगम और कुल व्यय बराबर होते हैं। इसे शून्य लाभ या शून्य हानि का बिन्दु भी कहते हैं।”

 

7. सम-विच्छेद बिन्दु का निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर – सम-विच्छेद बिन्दु (Break-even Point) यह दिखाता है कि उत्पादन या बिक्री को किस स्तर तक लाने में ‘न लाभ न हानि’ की स्थिति रहेगी। इसकी गणना में अग्रांकित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-

8. सम-विच्छेद विश्लेषण के लाभ अथवा महत्व बताइये ।

उत्तर- (i) मूल्य परिवर्तन का लाभ एवं सम-विच्छेद बिन्दु पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान करना।

(ii) विक्रय मार्ग में परिवर्तन का लाभ एवं सम-विच्छेद बिन्दु पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान करना।

(iii) निर्माणी, प्रशासनिक, सामान्य, विक्रय एवं वितरण आदि व्ययों का नियन्त्रण |

(iv) प्लाण्ट के आकार एवं प्रविधि में परिवर्तन का लाभ एवं सम-विच्छेद बिन्दु पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान करना ।

9. सीमा की सुरक्षा का क्या महत्व है?

उत्तर- सीमा की सुरक्षा का महत्व  – सीमा की सुरक्षा एवं इसका आकार व्यवसाय की सुदृढ़ता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह सीमा जितनी अधिक होगी, व्यवसाय का संचालन उतना ही अधिक सुरक्षित रहेगा और व्यवसाय को उतना ही अधिक लाभ होगा। यदि सुरक्षा की सीमा कम होती है तो बिक्री में थोड़ी-सी कमी से व्यवसाय हानि की स्थिति में आ सकता है। सम-विच्छेद बिन्दु पर सुरक्षा की सीमा शून्य होती है। स्पष्ट है कि व्यवसाय के लाभों में वृद्धि करने के लिए प्रत्येक फर्म की सुरक्षा की सीमा बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए और इस दृष्टि से निम्न उपाय किए जा सकते हैं – (i) विक्रय मूल्य में वृद्धि करना;

(ii) विक्रय मात्रा में वृद्धि करना;

(iii) स्थिर अथवा परिवर्तनशील लागतों अथवा दोनों में कमी लाने के प्रयास करना; एवं

(iv) कम लाभदायक उत्पादों को अधिक लाभदायक उत्पादों से प्रतिस्थापित करना ।

10. क्या सम-विच्छेद विश्लेषण लाभ एवं लागत के बीच सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक है?

उत्तर- हाँ, सम-विच्छेद विश्लेषण लाभ एवं लागत के बीच में सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक है। वास्तव में यह एक ऐसी तकनीक है जो लाभ के नियोजन एवं नियन्त्रण में सहायक होती है।   

11. सम-विच्छेद विश्लेषण के प्रयोग लिखिए।

उत्तर – सम-विच्छेद विश्लेषण के मुख्य प्रयोग निम्न प्रकार हैं-

(i)सम-विच्छेद बिन्दु की गणना करना;

(ii) विक्रय के विभिन्न स्तरों पर लाभ की गणना करना;

(iii) वांछित लाभ के लिए बिक्री ज्ञात करना;

(iv) एक निश्चित सम-विच्छेद बिन्दु पर प्रति इकाई नया विक्रय मूल्य ज्ञात करना;

(v) सुरक्षा की सीमा ज्ञात करना। 

12. सम-विच्छेद विश्लेषण की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- (1) फर्म न लाभ न हानि की स्थिति में होती है। सम-विच्छेद विश्लेषण की निम्न विशेषताएँ मिलती हैं-

(2) फर्म की कुल आगम कुल लागत के बराबर होती है।

(3) अंशदान की राशि (बिक्री परिवर्तनशील लागत) स्थिर लागत के – बराबर होती है। 

13. लाभ – मात्रा अनुपात क्या है? 

उत्तर – लाभ – मात्रा अनुपात  – यह अनुपात अंशदान और बिक्री के मध्य अनुपात को प्रतिशत में व्यक्त करता है और इसलिए इसे अंशदान सीमा अनुपात भी कहते हैं।

लाभ – मात्रा अनुपात एक उपयोगी अनुपात है, जो विविध प्रबन्धकीय निर्णयों के लिए गणना में सहायता करता है। जैसे- सम-विच्छेद बिन्दु का निर्धारण, बिक्री की निश्चित राशि पर लाभ, निश्चित लाभ के लिए बिक्री का निर्धारण इत्यादि । लाभ – मात्रा अनुपात की गणना-

14. सम-विच्छेद विश्लेषण की सीमाएँ क्या हैं?      

उत्तर – सम-विच्छेद विश्लेषण की मुख्य सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. स्थायी लागत स्थिर होती है – यह मान्यता कि स्थिर लागत उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर स्थिर होती है, उचित प्रतीत नहीं होता है। यदि किसी फर्म का उत्पाद शून्य है तो पर्यवेक्षक को हटाया जा सकता है। परिणामतः वेतन की राशि में कमी आ जायेगी। दूसरी ओर, यदि कम्पनी व्यर्थ क्षमता का प्रयोग करती है तो कुछ अतिरिक्त स्थिर लागत उत्पन्न होगी। अतः निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि स्थायी लागत उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर स्थिर नहीं होती है बल्कि एक निश्चित कार्य स्तर के बाद स्थायी लागत में भी वृद्धि होती है।

2. विक्रय मूल्य में परिवर्तन – इसके अन्तर्गत यह मान लिया गया है कि विक्रय मूल्य सदैव स्थिर रहता है, किन्तु व्यावहारिक जीवन में ऐसा नहीं होता है। हाँ, पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में विक्रय मूल्य स्थिर हो सकता है किन्तु व्यावहारिक जीवन में पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति देखने को नहीं मिलती है किन्तु एकाधिकृत एवं अल्पाधिकार प्रतियोगिता की वास्तविक बाजार स्थिति में बिक्री की मात्रा को बढ़ाने के लिए बिक्री मूल्य में कमी आवश्यक होती है। अतः बिक्री आगम उत्पादन के समानुपातिक क्रम में परिवर्तित नहीं होगा किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि सम-विच्छेद विश्लेषण अवधारणा पूर्णतया व्यर्थ है। एक व्यवसाय की क्रियाएँ एक सीमित दायरे में परिवर्तित होती हैं जिसे प्रासंगिक क्षेत्र कहते हैं। प्रासंगिक क्षेत्र के अन्तर्गत यह माना जा सकता है कि सभी व्यावहारिक उद्देश्यों से स्थायी लागतें स्थिर होती हैं तथा परिवर्तनशील लागतें उत्पाद के अनुपात में बदलती हैं।

3. लागत विभाजन- इस विधि के अन्तर्गत स्थिर एवं परिवर्तनशील दो प्रकार की ही लागतें हो सकती हैं जिससे सम-परिवर्तनशील लागतों को स्थिर एवं परिवर्तनशील लागतों में विभाजन करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए, भवन का किराया स्थिर लागत की श्रेणी में आता है, जबकि प्रत्यक्ष सामग्री की लागत परिवर्तनशील लागत होती है किन्तु कुछ लागतें मिश्रित श्रेणी में आती हैं। वे या तो समपरिवर्तनशील होती हैं या फिर सम-स्थिर लागतें होती हैं। वस्तुतः ऐसी लागतों का विभाजन एक जटिल काम है ।

4. बहु- उत्पाद फर्म की उपयुक्तता – सम-विच्छेद विश्लेषण सम्भवत: एकल-उत्पाद निर्माणी के लिए उपयुक्त होता है किन्तु बहु उत्पाद फर्मों की स्थिति में सम-विच्छेद बिन्दु की गणना कुछ निश्चित उत्पाद मिश्रण की मान्यता पर होती है। यदि सभी उत्पादों के सम-विच्छेद बिन्दु की गणना करनी हो तो फर्म की स्थायी लागत का विभाजन सभी उत्पादों पर करना होगा। स्थायी लागतों का विभाजन व्यावहारिकत: एक जटिल काम है। सम-विच्छेद बिन्दु निम्न होगा यदि उत्पाद- मिश्रण अधिकतमलाभ-उत्पाद निर्धारित किया जाता है एवं यह अधिक होगा यदि बिक्री का अधिकतम भाग निम्न लाभ – उत्पाद होगा । सम्पूर्ण फर्म के लिए सम-विच्छेद बिन्दु तभी वैध होगा जब विक्रय-मिश्रण स्थिर होगा।      

5. स्थैतिक – विविध उत्पादों के निर्माण की बिक्री करने वाले उपक्रमों की स्थिति में लाभ का सही-सही पूर्वानुमान सम्भव नहीं होता है। सम- विच्छेद विश्लेषण की मान्यताएँ इसे गतिशील प्रक्रिया की स्थैतिक प्रमाप बना देती हैं। यह एक दिये हुए समय में लागत मात्रा एवं लाभ के बीच सम्बन्ध को बताता है। विश्लेषण के लिए प्रयुक्त सम-विच्छेद चार्ट स्थैतिक बिक्री एवं स्थैतिक लागत रेखा प्रदर्शित करता है जो भावी आगम एवं लागत का पूर्वानुमान करने में सक्षम नहीं है।

6. अल्पकाल संकेन्द्रित – सम-विच्छेद विश्लेषण लाभ – नियोजन की एक अल्पकालीन तकनीक है। यह दीर्घकालीन लाभ नियोजन में प्रयुक्त नहीं हो सकती। दीर्घकालीन दृष्टिकोण से गलत निर्णय देने वाली तकनीक साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक कम्पनी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहती है। हो सकता है, प्रयुक्त अतिरिक्त क्षमता प्रथम बार लाभदायी साबित नहीं हो सके और कम्पनी उक्त अतिरिक्त क्षमता को स्थगित करने का भी निर्णय ले सकती है। अतः दीर्घकालीन लाभ-नियोजन के लिए उपयुक्त यंत्र नहीं है, साथ ही अल्पकालीन निर्णय के लिए भी उपयुक्त नहीं कहा जा सकता है।

15. सम-विच्छेद विश्लेषण की मान्यताएँ क्या हैं? 

उत्तर- सम-विच्छेद विश्लेषण निम्न मान्यताओं पर आधारित है-

(i) परिवर्तनशील लागत की आनुपातिकता – यह माना जाता है कि उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर प्रति इकाई परिवर्तनशील लागत स्थिर रहती हैं अर्थात् यह लागत उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर आनुपातिक रूप से परिवर्तित होती है।

(ii) स्थिर और परिवर्तनशील लागतें-सम- विच्छेद विश्लेषण की आधारभूत मान्यता यह है कि लागत के सभी तत्वों को दो वर्गों में अर्थात् स्थिर लागत और परिवर्तनशील लागत में विभाजित किया जा सकता है।

(iii) स्थिर लागत की निश्चितता – शून्य उत्पादन से लेकर उत्पादन क्षमता तक किसी भी मात्रा में उत्पादन करने पर स्थिर लागत की कुल राशि निश्चित और अपरिवर्तित रहती है।

(iv) सामान्य मूल्य स्तर में स्थिरता लागत के विभिन्न तत्वों; जैसे – सामग्री, मजदूरी और अन्य व्ययों के सम्बन्ध में यह मान लिया जाता है कि निश्चित अवधि में उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता।    

(v) विक्रय मूल्य ‘की स्थिरता-विक्रय के सभी स्तरों पर प्रति इकाई विक्रय मूल्य एकसमान रहता है अर्थात् वस्तु की पूर्ति के घटने या बढ़ने पर बाजार में विक्रय मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं होता।

(vi) मात्रा और लागत का सम्बन्ध-सम-विच्छेद विश्लेषण की एक महत्वपूर्ण मान्यता है कि उत्पादन की मात्रा ही ऐसा घटक है जो लागत को प्रभावित करता है।

(vii) तकनीकी स्थिरता यह माना जाता है कि जिस अवधि के लिए सम-विच्छेद विश्लेषण किया जा रहा है, उस अवधि में उत्पादन पद्धति, मशीनों की कुशलता या तकनीकी पद्धतियों में अन्तर नहीं होगा।

(viii) उत्पाद मिश्रण की स्थिरता – उपक्रम में केवल एक ही वस्तु का उत्पादन और विक्रय होता है। यदि एक से अधिक वस्तुओं का उत्पादन और विक्रय होता है तो विक्रय मिश्रण का अनुपात निश्चित और स्थिर रहता है

16. सम-विच्छेद विश्लेषण की उपयोगिताएँ समझाइये | 

उत्तर-  सम-विच्छेद विश्लेषण की उपयोगिता – सम-विच्छेद विश्लेषण एक तकनीक है, जो लाभ के नियोजन एवं नियन्त्रण में सहायक होती है। यह लाभ एवं लागत के बीच में सम्बन्ध स्थापित करने में भी सहायक होती है। निम्नलिखित कुछ लाभ हैं, जो सम-विच्छेद बिन्दु की उपयोगिता को स्पष्ट करते हैं- 

1. नैदानिक यंत्र  – यह एक महत्वपूर्ण प्रबन्धकीय यंत्र है जिसके माध्यम से विभिन्न स्तर पर लागत उत्पाद के सम्बन्ध को समझा जा सकता है। यह बढ़ते हुए सम-विच्छेद एवं घटते हुए लाभ के कारणों को स्पष्ट करता है। यह विश्लेषण प्रबन्ध के समक्ष कारणों का निदान प्रस्तुत करता है।

2. जोखिम मूल्यांकन- किसी कार्य अथवा परियोजना को प्रारम्भ करने के पूर्व लाभ एवं जोखिम का मूल्यांकन कर लेना आवश्यक होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति में सम-विच्छेद विश्लेषण काफी उपयोगी सिद्ध होता है। अत: यह आदेश स्वीकृति, पाली कार्य, विक्रय-मिश्रण, खरीदो – या बनाओ आदि निर्णय के सम्बन्ध में काफी सहायक प्रतीत होता है।

3.लेखांकन आँकड़ों को समझना  – यह एक सरल अवधारणा है जिसके माध्यम से लेखांकन आँकड़ों को समझा एवं अनुविन्यास किया जा सकता है। यदि आँकड़ों को सम-विच्छेद चार्ट के द्वारा प्रदर्शित किया जाये तो उन्हें आसानी से समझा एवं अनुविन्यास किया जा सकता है। हालाँकि, जो अधिशासी सम-विच्छेद विश्लेषण का प्रयोग लेखांकन आँकड़ों को समझने में करते हैं, उन्हें इसकी सीमाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्हें इसको अत्यधिक महत्व नहीं देना चाहिए।

4. लाभ – सुधार – यह अधिक परिशुद्धता के साथ लाभ के पूर्वानुमान में सहायक होता है। यह बजट के निर्माण एवं नियंत्रण में भी सहायक होता है। सम-विच्छेद विश्लेषण के अन्तर्गत सम-विच्छेद बिन्दु एवं लाभ – मात्रा अनुपात की गणना की जाती है जिसके आधार पर लाभ को प्रभावित करने वाले कारकों की जानकारी प्राप्त की जाती है।

17. सम-विच्छेद बिन्दु या विश्लेषण क्या है? यह कैसे ज्ञातकिया जाता है?  अथवा (Or) सम-विच्छेद बिन्दु क्या है ?  

उत्तर- सम-विच्छेद बिन्दु ( Break- Even Point) – बिक्री का वह बिन्दु जहाँ व्यवसाय को न लाभ हो न हानि, ‘सम-विच्छेद बिन्दु’ कहलाता है। यहाँ विक्रय मूल्य कुछ लागत के बराबर होता है। कुछ लागत में स्थायी (Fixed) तथा परिवर्तनशील (Variable) दोनों शामिल होते हैं। उद्यमी कोई भी बिक्री करते समय इस बिन्दु का ध्यान रखता है क्योंकि इस बिन्दु से अधिक बिक्री लाभ प्रदान करेगी और इससे नीचे की बिक्री से हानि होगी। एक रेखाचित्र की सहायता से यह ज्ञात हो जाता है कि बिक्री के किस स्तर पर साहसी को कितना लाभ या हानि होगी ? 


स्पष्ट है कि उत्पादन चाहे 3,000 इकाई हो या 15,000 इकाई हो, स्थिर लागत 3,000 ही रहेगी। बिक्री रेखा शून्य से आरम्भ होती है जबकि लागत रेखा 3,000 से शुरू होती है क्योंकि बिक्री कुछ नहीं भी हो तो स्थायी लागत 3,000 रहेगी ही। अब ये दोनों रेखाएँ एक-दूसरे को जिस बिन्दु पर काटती हैं, वह ‘ सम-विच्छेद बिन्दु’ कहलाता है। इससे अधिक बिक्री लाभ तथा कम बिक्री हानि का द्योतक है।

उदाहरण– निम्नांकित सूचनाओं से सम-विच्छेद बिन्दु ज्ञात करें- (i) स्थायी व्यय 30,000, (ii) परिवर्तनशील व्यय, 3 प्रति इकाई, (iii) विक्रय मूल्य 6 प्रति इकाई ।

 

Leave a Reply