Eps Class 12 Chapter 14 Subjective in Hindi

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उद्यमी पूँजी : कोषों के स्रोत एवं साधन

1.प्रथम पीढ़ी की उद्यमियों द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जाता है, उनमें से किसी छः की सूची बनाइये 

उत्तर- प्रथम पीढ़ी की उद्यमियों द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जाता है उनमें छ: की सूची निम्नलिखित है-
(i) पूँजी की समस्या,

(ii) अनिश्चितता,

(iii) उच्च जोखिम,

(iv) असुरक्षा,

(v) कम लाभदायकता,

(vi) सही व्यापारिक योजना का अभाव। 

2. टिप्पणी लिखिए – वाणिज्यिक बैंक साहसी पूँजी कोष का स्रोत

उत्तर – व्यावसायिक बैंकों के साहसिक पूँजी कोष- भारतीय बैंकों में से कुछ एक तथा भारतीय स्टेट बैंक तथा केनरा बैंक द्वारा साहसिक पूँजी कोषों की स्थापना की गई है जो कि अंश अथवा ऋणों सशर्त के रूप में साहसिक पूँजी प्रदान करते हैं। भारतीय स्टेट बैंक नयी कम्पनियों की अंश पूँजी में निवेश करता है। केनरा बैंक द्वारा अपनी सहायक कम्पनी के माध्यम से साहसिक कोष निर्मित किया गया है। सहायता प्राप्त परियोजनाएँ घड़ियाँ, सीमेण्ट, चीनी आदि उद्योगों से सम्बद्ध हैं।

3. व्यवसाय नीति की आवश्यकता बताइये ।

उत्तर- व्यवसाय नीति की आवश्यकता निम्न उद्देश्य की पूर्ति के लिए की जाती है-

(i) भावी अनिश्चितताओं तथा परिवर्तनों का सामना करने के लिए,

(ii) संगठनात्मक लक्ष्यों की ओर ध्यान करने के लिए,

(iii) एकता और समन्वय स्थापित करने के लिए,

(iv) क्रियाओं में मितव्ययिता जाने के लिए,

(v) संगठन को प्रभावी बनाने के लिए,

(vi) उपलब्ध साधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए,

(vii) नियन्त्रण को सुविधाजनक बनाने के लिए आदि । 

4. व्यवसाय नीति क्या है? 

उत्तर- व्यवसाय संचालन के प्रत्येक स्तर पर पहले से ही यह तय कर लेना है कि कौन-सा कार्य कैसे और किसके द्वारा किया जायेगा ? उद्देश्य के अनुरूप संसाधन कैसे जुटाये जायें कहाँ से जुटाये जायें, उत्पादन प्रक्रिया कैसी होगी, उत्पाद के विक्रय की व्यवस्था कैसी होगी ? लाभ की क्या स्थिति रहेगी ? भविष्य में उपक्रम के विस्तार की योजना एवं नीति क्या होगी इन सभी तथ्यों को समेकित करते हुए एक रूपरेखा सुनिश्चित की जाती है जिसे व्यवसाय नीति Business Plan कहा जाता है। 

5. उद्यमी पूँजी वित्त के लिए योग्यताएँ क्या हैं? 

उत्तर- भारत सरकार के अनुसार, निम्नलिखित संगठन उद्यमी पूँजी वित्त लेने में सक्षम हैं-
(i) तकनीक (Technology) – नई या अपरीक्षित तकनीक या बहुत नजदीकी तकनीक या वह तकनीक जो अभी-अभी वाणिज्य क्षेत्र में आई हो या जो भारत में प्रचलित तकनीकों में सुधार कर सकती हो।
(ii) आकार (Size) – कुल निवेश 100 मिलियन रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।
(iii) संगठन (Enterprise) – उन संगठनों को सहायता दी जाती है जिनका जोखिम दूसरों की तुलना में नई, अपरीक्षित तथा बहुत नजदीकी तकनीक के कारण ज्यादा होता है तथा / या जिनके उद्यमी भी नए होते हैं तथा अनुभवी नहीं होते परन्तु वह योग्य होते हैं तथा उनके संगठनों का आकार भी विनीत होता है।

(iv) सहायता (Assistance ) – सहायता मुख्य रूप से साधारण सहायता
होती है। ऋण सहायता भी दी जा सकती है। 

6. उद्यमी पूँजी की परिभाषा दीजिए।अथवा (Or) उद्यम पूँजी अथवा साहसिक पूँजी क्या है? 

उत्तर- साहसिक पूँजी ऐसे वित्तीय निवेश से सम्बद्ध है जो किसी जोखिम भरे प्रस्ताव से सम्बद्ध है परन्तु जिसके द्वारा उसे ऊँचे प्रत्याय दर की आशा हो । है इसे अत्यन्त जोखिम पूँजी का प्रतीक ही कह सकते हैं। वित्त, ऐसे साहसिक पूँजी कोषों द्वारा प्रदान किया जाता है जो किसी अपरिचित परन्तु उत्साहजनक भविष्य के लिए हुई कम्पनी को दिया जाता है। वैन (Wan) के अनुसार, “साहसिक पूँजी से अभिप्राय, असुरक्षित एवं जोखिम वित्तीयन” के रूप में व्याख्या की जा सकती है। कारण ऊँची तकनीक एवं नये उपक्रम ऋण प्राप्त करने हेतु कोई सहायक प्रतिभूति देने में असमर्थहोते हैं।

7. उद्यमी वित्त की अवस्थाएँ लिखिए।

उत्तर- उद्यमी वित्त की अवस्थाएँ  सारे विश्व में सभी VCFs तकरीबन एक जैसे ही कार्यक्रम को अपनाती हैं। उद्यमी पूँजी वित्त की अवस्थाओं को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है- 

8. उद्यमी पूँजी के स्रोतों को बताइए।

उत्तर- उद्यम पूँजी के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं-

(i) भारतीय निर्यात आयात बँक

(ii) आई.डी. बी. आई. उद्यमी पूँजी ।

(iii) भारतीय प्रौद्योगिकी एवं सूचना विकास कम्पनी लिमिटेड।

(iv) भारतीय वित्त निगम का उद्यमी कोष

(v) गुजरात उद्यमी वित्त लिमिटेड

(vi) पंजाब सूचना प्रौद्योगिकी उद्यमी कोष ।

9. उद्यमी पूँजी को परिभाषित करो तथा इसके किन्हीं दो स्त्रोतों की विवेचना करो।

उत्तर-  साहसी पूँजी ऐसे वित्तीय निवेश से सम्बद्ध है जो किसी जोखिम भरे प्रस्ताव से सम्बद्ध है परन्तु जिसके द्वारा उसे ऊँचे प्रत्याय दर की आशा हो। इसे अत्यन्त जोखिम पूँजी का प्रतीक भी कह सकते हैं। वित्त ऐसे साहसिक पूँजी कोषों द्वारा प्रदान किया जाता है जो किसी अपरिचित परन्तु उत्साहजनक भविष्य के लिए हुई कम्पनी को दिया जाता है। अनेक विचारकों द्वारा साहसिक पूँजी को परिभाषित किया गया है- परैट (Pratt) के अनुसार, “साहसिक पूँजी उसे समझना चाहिये जो वित्तीयन की प्रारम्भिक अवस्था एवं नये उद्यमियों को दिया जाए जो तेजी से गति पकड़ना चाहते हों। वैन (Wan) के अनुसार, “साहसिक पूँजी से अभिप्राय, असुरक्षित एवं जोखिम वित्तीयन” के रूप में व्याख्या की जा सकती है। कारण ऊँची तकनीक एवं नये उपक्रम ऋण प्राप्त करने हेतु कोई सहायक प्रतिभूति देने में असमर्थहोते हैं।  अतः साहसिक पूँजी एक सक्षम तन्त्र है जिसके द्वारा नव-निर्माण उद्यमिता को साहसिक पूँजीपति द्वारा स्थापित किया जाता है तथा जिसके द्वारा पूँजी प्रदाता एवं उद्यमी सहभागी होते हैं। अन्य शब्दों में, साहसिक पूँजीपति एवं उद्यमी भागीदार के रूप में प्रकट होते हैं तथा साहसिक पूँजीपति न केवल उद्यमी की अंश पूँजी को क्रय करता है परन्तु प्रबन्ध में सम्मिलित होकर, उसके व्यापार को बढ़ा देता है, उसके निवेश के पोषण के अतिरिक्त उसके निवेश की वृद्धि भी करने की चेष्टा करता है। साहसिक पूँजीपति उद्यमी को अपने विपणन, नियोजन एवं प्रबन्धकीय चातुर्य एवं तकनीक द्वारा नये उपक्रम को विकसित करता है। इस प्रकार साहसिक पूँजीपति, एक बैंकर, विकास- वित्तीयक एवं स्टॉक बाजार निवेशक की भूमिका अदा करता है। साहसिक पूँजी के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं-
(1) भारतीय निर्यात-आयात बँक- भारतीय निर्यात-आयात बँक (1982 में स्थापित ) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवर्तन, वित्तीयन एवं सहायक भारत में मात्र संस्थाएँ जो निर्यात-आयात में संलग्न संस्थाओं की कार्य- शैली के समन्वयन से सम्बद्ध हैं। ऐजिम बैंक (EXIM Bank) द्वारा भारतीय यूनिट ट्रस्ट (UTI) द्वारा प्रवर्तित भारतीय तकनीकी कोष योजना के अन्तर्गत साहसिक पूँजी कोष में विनियोग
करता है। कोष का उद्देश्य तकनीकी क्षेत्रों में निवेश करना है, जैसे-

(i) सूचना प्रौद्योगिकी.

(ii) ब्याज

(iii) मीडिया एवं मनोरंजन

(iv) बायोप्रौद्योगिकी

(v) फार्मेसीकीय

(vi) स्वास्थ्य रक्षा

EXIM बैंक द्वारा सॉफ्टवेयर विकास सुविधाओं के विस्तार हेतु पूँजीगत व्ययों की वित्त व्यवस्था, समुद्र पार उपक्रमों की कार्यशील पूँजी एवं समता पूँजी विनियोग, भारतीय समुद्र पार उपक्रमों एवं निर्यात उत्पाद विकास आदि हेतु वित्तीयन । 

(2) आई.डी.बी.आई. साहसिक कोष – आई.डी.बी.आई. पूँजी कोष की स्थापना 1986 में 10 करोड़ रुपये की आरम्भिक पूँजी से की गई तथा कोष IDEI की प्रौद्योगिकी विभाग का एक भाग है। कोष ऐसी परियोजनाओं को 0.5 से 25 मि. रुपए (2.5 करोड़ रुपए) तक की प्रौद्योगिकी, लघु एवं मध्य आकार वाली परियोजनाओं हेतु वित्त प्रदान करता है। ऐसी परियोजनाएँ जो घरेलू विकसित प्रौद्योगिकी का प्रयोग करें अथवा जो आयातित तकनीकी का विस्तृत प्रयोग करें, का वित्तीयन करती हैं। उद्यमी द्वारा भारतीय संदर्भ से अपरिचित अथवा नयी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। प्रवर्तकों द्वारा 50 लाख रुपए से कम पूँजी वाले उपक्रम में 10% तक (50 रुपए से अधिक कुल निवेश में 15% को अंश पूँजी प्रवर्तकों द्वारा निवेशित) तथा शेष अंश पूँजी की आरम्भिक स्तर से कुल पूँजी का वित्तीयन कोष द्वारा किया जाता है। सहायता, आरक्षित ऋण, जिसमें न्यूनतम वैधानिक कार्यवाही हो, के रूप में की जाती है। IDBI द्वारा विभिन्न क्षेत्रों जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य-पदार्थ, दवाई – तन्त्र (Medical Equipment), बायो-प्रौद्योगिकी, रसायन, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर आदि क्षेत्रों में किया जाता है। 

10. उद्यमी पूँजी से किस प्रकार के उद्योग के आधार पर विस्तार होता है? 

उत्तर-  उद्यमी पूँजी फर्मों द्वारा निवेश उच्च तकनीकी क्षेत्रों में किया जाता है इनमें तकनीक का प्रयोग होता है या नई तकनीक का प्रयोग करके नये उत्पादों का उत्पादन होता है। उद्यमी पूँजीपति न सिर्फ उद्यमी की कम्पनी में साधारण अंशों में निवेश करता है बल्कि प्रबन्धकीय मामलों में हिस्सा लेकर समय-समय पर अपनी सलाह भी देता है। निवेश करने के बाद उद्यमी पूँजीपति का उद्यमी के व्यापार में सक्रिय योगदान रहता है। उनके सक्रिय योगदान से व्यापार को बढ़ावा मिलता है। उद्यमी पूँजीपति तकनीकी तथा प्रबन्धकीय क्षेत्रों में अनुभवियों के साथ अपनी पहुँच का प्रयोग करके उद्यमी टीम को नीतिज्ञ निवेश उपलब्ध करवाता है ताकि अनिश्चितताओं को कम किया जा सके। वह उद्यमी की रक्षा करता है तथा निवेश मूल्य को बढ़ाता है। उद्यमी पूँजी फर्मों उद्यमी के विकास को प्रोत्साहित करती हैं क्योंकि उसके पास सीमित संसाधन होते हैं, जोखिम बड़े होते हैं तथा गर्भकाल काफी लम्बा होता है। उद्यमी पूँजी फर्मों उद्यमी को उत्पादन के विपणन में भी सहायता देती हैं। उद्यमी पूँजी उन्नति एवं उन्नयन के आधार पर औद्योगिक कम्पनियों की जरूरतों को पूरा करते हैं। राष्ट्रीय आर्थिक सफलता प्राप्त करने में तकनीकी विकास एक खास तथ्य है तथा उद्यमी पूँजीपति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नया व्यापार शुरू करने में बन्दूक के घोड़े के समान कार्य करता है तथा मौजूदा व्यापार को बढ़ाने में भी उचित प्रदर्शन प्राप्ति के लिए काफी धन उपलब्ध करवाकर सहायता करता है। लघु स्तर के उद्योगों के विस्तार के लिए उद्यमी पूँजी की महती आवश्यकता है। इससे औद्योगिक आधार को बढ़ावा मिलता है। उससे आर्थिक विकास, रोजगार सृजन व राष्ट्रीय संवृद्धि को बल मिलता है। विकास की गाड़ी वित्त रूपी ईंधन से चलती है।

Exim Bank Unit Trust of India (UTI) India Tech- nology Venture Unit Scheme में निवेश करके उद्यमी पूँजी वित्त में प्रवेश किया है। फर्म का उद्देश्य तकनीकी क्षेत्रों में प्रवेश करना है, जैसे-
(i) सूचना तकनीक, (ii) इंटरनेट, (iii) मीडिया या मनोरंजन, (iv) टैली कम्यूनिकेशन, (v) बायो तकनीक, (vi) फर्मास्युटीकल्स तथा (vii) हेल्थ केयर । IDBI’s Venture Fund उच्च तकनीक, छोटी तथा मध्य आकार की परियोजनाओं जिनमें 0-5 से 2.5 करोड़ रुपये तक की आवश्यकता होती है की सहायता करता है। उद्यमी परियोजनाओं में नये तथा भारतीय परिस्थितियों में अपरीक्षित तकनीक होनी चाहिए। IDBI विभिन्न क्षेत्रों जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य पदार्थ, उपचार का सामान, बायो तकनीक, कैमिकल, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर आदि में फण्ड देती है। SIDBI ने 1992-93 में उद्यमी पूँजी विभाग स्थापित किया ताकि वह ASSIS की भावी तथा नई परियोजनाओं को पूरा कर सके। बैंक ने SSIs की सहायता के लिए 100 मिलियन रुपए की सहायता भी दी है। वे SSIs जो SIDBI VCF की सहायता चाहती है उन्हें Equity Conditional and normal term ऋण मिल सकते हैं। प्रधानमन्त्री द्वारा 10 दिसम्बर, 1999 को National Venture Fund for Software and IT Industry (NF SIT) शुरू की गई। फण्ड का मुख्य उद्देश्य Software तथा IT कम्पनियों खासतौर पर लघु संगठनों की जरूरतों को पूरा करना है।  उद्यमी पूँजी से उच्च तकनीक व लघु स्तरीय इकाइयों के उत्पाद यथा-सीमेंट, घड़ियाँ, चीनी आदि जैसे उद्योगों के आधार पर विस्तार होता है। 

11. उद्यमी पूँजी से आप क्या समझते हैं? इसकी क्या विशेषताएँ हैं तथा इसे प्राप्त करने की क्या योग्यताएँ होनी चाहिए?  अथवा (Or) साहस पूँजी क्या है ? साहस पूँजी की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर – उद्यमी पूँजी के आशय के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न का अध्ययन करें। उद्यमी पूँजी की विशेषताएँ— उद्यमी पूँजी का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ तथा यह विश्वव्यापी रूप से विकसित हो रही है। भारत में यह 1973 में आई जब आर. एस. भट्ट (R.S. Bhatt) कमेटी ने देश में उद्यमी पूँजी फण्ड बनाने की सलाह दी। उद्यमी पूँजी का संकल्प कई विभिन्न विशेषताओं का पूर्ण रूप दर्शाता है जो इन्हें आम पैसा उधार देने वालों से अलग करता है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) एक अकेले व्यक्ति का व्यापार में निवेश काफी ज्यादा जोखिम भरपूर होता है तथा सफलता के अवसर अधिक होते हैं क्योंकि यह लम्बे समय तक शुरू करने की कीमत से लेकर उच्च जोखिम भरे उच्च लाभ परियोजनाओं को उपलब्ध करवाता है। परिणामस्वरूप, ऐसी परियोजनाएँ बैंकरों को अधिक प्रभावित नहीं करतीं ।

(ii) उद्यमी पूँजी फर्मों द्वारा निवेश उच्च तकनीकी क्षेत्रों में किया जाता है, इनमें तकनीक का प्रयोग होता है या नई तकनीक का प्रयोग करके नए उत्पादों का उत्पादन होता है।

(iii) उद्यमी पूँजीपति तकनीकी तथा प्रबन्धकीय क्षेत्रों में अनुभवियों के साथ अपनी पहुँच का प्रयोग करके, उद्यमी टीम को नीतिज्ञ निवेश उपलब्ध करवाता है ताकि अनिश्चितताओं को कम किया जा सके। वह उद्यमी की रक्षा करता है तथा अपने निवेश के मूल्य को बढ़ाता है।

(iv) उद्यमी पूँजी फर्मों द्वारा निवेश साधारण अंश में किया जाता है क्योंकि इसमें लाभ तब तक नहीं मिलता जब तक कम्पनी लाभ कमाना शुरू नहीं कर देती ।

(v) उद्यमी पूँजी फर्में उद्यमी के विकास को प्रोत्साहित करती हैं, उसकी सहायता करती हैं क्योंकि उसके पास सीमित संसाधन होते हैं, जोखिम बड़े होते हैं तथा गर्भकाल काफी लम्बा होता है। उद्यमी पूँजी फर्मों उद्यमी को उत्पादन के विपणन में भी सहायता करती हैं। उद्यमी पूँजी से उच्च तकनीक व लघु स्तरीय इकाइयों के उत्पाद यथा-सीमेंट, घड़ियाँ, चीनी आदि जैसे उद्योगों के आधार पर विस्तार होता है। 

12. उद्यमी पूँजी वित्त देने वाली एजेंसियाँ बताइए।

उत्तर- उद्यमी वित्त की एजेंसियाँ निम्नलिखित हैं-
(i) The EXIM Bank – 1892 में, वित्त सुविधा तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए Export Import Bank of India की स्थापना की गई। यह देश में आयात-निर्यात के वित्त सम्बन्धी संगठनों के कार्य में सहायता के लिए मुख्य संगठन है। EXIM Bank Unit Trust of India (UTI) India Techno-logy Venture Unit Scheme में निवेश करके उद्यमी पूँजी वित्त में प्रवेश किया है।

(ii) IDBI’s Venture Fund – IDBI का VCF 1986 में प्राथमिक पूँजी 10 करोड़ रुपए से शुरू किया गया था तथा वह IDBI के तकनीकी विभाग का हिस्सा है। IDBI विभिन्न क्षेत्रों जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य पदार्थ, उपचार का समान, बायो तकनीक, कैमिकल, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर आदि में फण्ड देती है।

(iii) Technology Development and Information Company of India Limited (TDICI) –TDICI भारत में उद्यमी पूँजी फण्ड है जिसे सरकार द्वारा बनाया गया है तथा IDBI द्वारा चलाया जा रहा है। यह भारत की सबसे बड़ी उद्यमी पूँजी फर्म है।

(iv) IFCI’s Venture Capital- IFCI ने 1975 में Risk Capital Foundation (RCF) को समर्थन दिया था, जो बाद में जनवरी 1988 से Risk Capital and Technology Finance Corporation Limited (RCTFC) के नाम से जानी जाने लगी। RCTFC उच्च तकनीकी परियोजनाओं को उद्यमी पूँजी के रूप में तकनीकी विकास तथा उन्नति के लिए वित्तीय सहायता देती है।

(v) Gujarat Venture Finance Limited (GVFL) – राज्य स्तरीय वित्तीय संस्थानों द्वारा दिये गये उद्यमी पूँजी फण्डों के अन्तर्गत GVFL जिसे जुलाई 1990 में प्रेरित किया गया, ताकि नए उत्पादों तथा नई तकनीकी उन्नति का वाणिज्यीकरण किया जा सके। यह Equity तथा Quasi equity के रूप में उद्यमियों के जोखिम को वित्तीय सहायता देकर बाँटती है।

(vi) Punjab Infotech Venture Fund (PIVF) – यह एक 200 मिलियन रुपयों का उद्यम है जो 10 साल का बन्द उद्यम पूँजी फण्ड है जिसे Punjab State Industrial Development Corporation (PSIDC), Punjab State Financial Corporation (PFC), Punjab State Electronics Development and Production Corporation Limited (PSED & PC) तथा Small Industries Development Bank of India (SIDBI) ने सामूहिक रूप में बनाया ।

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