उसने कहा था पाठ का लेखक परिचय
लेखक – चंद्रधर शर्मा गुलेरी
चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म – 7 जुलाई 1883
चंद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन- 12 सितंबर 1922
चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म स्थान- जयपुर,राजस्थान
चंद्रधर शर्मा गुलेरी का मूल निवास- गुलेर नामक ग्राम,जिला कांगड़ा,हिमाचल प्रदेश
चंद्रधर शर्मा गुलेरी की रचनाएं :-
कहानियां- सुखमय जीवन,बुद्धू का कांटा,उसने कहा था
निबंध- कछुआ धर्म,पुरानी हिंदी,भारतवर्ष,देवानां प्रिय,डिंगल
उसने कहा था कहानी का सारांश लिखिए
उसने कहा था एक दिव्य प्रेम और एक युद्ध की कहानी भी है । चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने हमारे समक्ष एक दिव्य प्रेम को उजागर किए है । अमृतसर की भीड़ भरी सड़कों पर एक लड़का और एक लड़की एक दुकान पर मिलता है । लड़के ने मुस्कुराकर पूछा “तेरी कुड़माई हो गई ” इस पर लड़की ने कुछ आंखें चढ़ा कर धत कह कर दौड़ गई और लड़का मुंह देखते रह गया । यहीं से प्रेम का बीज अंकुरण होता है। दूसरे तीसरे दिन दोनों फिर मिलते हैं महीना भर यही हाल रहा कुड़माई के बारे में पूछने पर लड़की ने कहा – “ देखते नहीं यह रेशम से कढ़ा हुआ शालू ” । लड़की भाग गई । लड़का आते-आते अनेक प्रकार के कार्य रस्ते में करता है वह सब्जी वाले के ठेले गुस्से से गिरा देता है और दूसरे पर चीखने और चिल्लाने लगता है । मिट्टी में लेटने लगता है एक व्यक्ति को नाले में धकेल देता है और वह घर पहुंच जाता है। समय बीतता जाता है 25 वर्ष बाद वह लड़का जिसका नाम लहना सिंह था वह भारतीय सैनिक अंग्रेजों के साथ जर्मनी में लड़ रहा था वहां युद्ध चल रहा था साथ ही वहां ठंड भी ज्यादा थी ।
लहंगा सिंह को 25 वर्ष बाद बचपन की याद आती है । कुड़माई हो गई कहने वाली लड़की को आज वह सूबेदारनी है । वह कहती है मेरा बेटा बोधा सिंह और मेरे पति हजारा सिंह दोनों लाम पर जा रहे हैं ।
सूबेदारनी लहना सिंह के पास जाती है और कहती है बचपन में तुमने मुझे एक दुर्घटना में मरने से बचाया था । ठीक इसी तरह तुम मेरे पति और बेटे की रक्षा करना । सूबेदारनी आंचल पसारगढ़ कर लहना सिंह से भिक्षा मांग रही थी । कुछ देर के बाद तीनों युद्ध के लिए चले गए । वहां भीषण ठंड पर वर्षा भी हो रही थी । बोधा सिंह को ठंड लग रहा था । लहना सिंह बुखार ग्रस्त बोधा सिंह को अपनी जर्सी ओढा देता है । कुछ देर के बाद लहना सिंह देखता है कि जर्मन सिपाहियों ने धावा बोल दिया है दोनों तरफ गोली चलती है एक गोली बोधा सिंह को लगने वाली थी लेकिन लहना सिंह को लग गया । अगर लहना सिंह नहीं होता तो आज बोधा सिंह और हजारा सिंह मारे गए होते ।
घायलों को लेने के लिए गाड़ियां आती है । लहना सिंह पिता और पुत्र दोनों को गाड़ी पर चढ़ा देता और खुद नहीं जाता वह कहता है कि अगर तुम सूबेदारनी को चिट्ठी लिखोगे तो यह लिख देना कि – उसने कहा था, वह मैंने कर दिया । गाड़ी चली जाती है लहना सिंह खून से लथपथ हुआ रहता है । वह वजीरा से कहता है कि वजीरा पानी पिला दे । बचपन की साड़ी स्मृतियां साफ होकर आई । लहना सिंह के घाव से लगातार खून बह रहा था और कह भी रहा था कि वजीरा पानी पिला दे । उसने कहा था और इस प्रकार कुछ देर बाद लहना सिंह की मृत्यु हो जाती है । अतः इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उसने कहा था कहानी में वीरता , त्याग और प्रेम नजर आता है ।
Usne Kaha Tha is baat ka unko ek number ya question chahie