Sociology Class 12 Book 1 Chapter 2 Subjective
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भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना
- आदर्श जनसंख्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – जनसंख्या समाज का सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य तत्व है । जनसंख्या के अभाव में समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती । किसी राष्ट्र की जनसंख्या कितनी होनी चाहिए यह प्रश्न एक सापेक्षिक प्रश्न है । कुछ राष्ट्रों की जनसंख्या कम है वे अधिक जनसंख्या के लिए प्रोत्साहन देते हैं । कुछ राष्ट्रों की जनसंख्या अधिक है । वे अपने नागरिकों को जीवन की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं । किसी देश की जनसंख्या उसी समय आदर्श जनसंख्या कहलाती है जब उनकी रोटी , कपड़े और मकान की समस्या नहीं रहती । अर्थशास्त्री कैनन के अनुसार आदर्श जनसंख्या एक ऐसी जनसंख्या है जो देश के सभी प्राकृतिक साधनों का शोषण करके अपने व्यक्तियों को अधिकतम प्रति व्यक्ति आय देती है । ‘ जनसंख्या का उचित आकार राए को सुदृढ़ बनाता है तथा उसकी बहुपक्षीय प्रगति में सहायता करता है । अधिक जनसंख्या राष्ट्र व समाज के लिए अनेक समस्याओं का कारण बन जाती है । ऐसे राष्ट्र जनसंख्या को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं ।
- आप्रवास तथा उत्प्रवास में क्या अन्तर है ?
उत्तर – एक देश की जनसंख्या में परिवर्तन आप्रवास ( बाहर के देशों से आकर बसने वाले लोगों ) और उत्प्रवास ( बाहर जाकर बसने वाले लोगों ) के आधार पर भी होता है । जब अन्य देशों से व्यक्ति आकर हमारे देश में बस जाते हैं तो इससे निश्चित रूप से हमारे देश की जनसंख्या में वृद्धि होती है । उत्प्रवास के अन्तर्गत हमारे देश या समाज के व्यक्ति अन्य देशों या समाज में जाकर बस जाते हैं । इसके परिणामस्वरूप हमारे देश की जनसंख्या निश्चित रूप से कम हो जाती है । वैसे तो ये क्रियाएँ हमेशा चलती रहती हैं परन्तु जब इनके अनुपात में अन्तर आ जाता है तो जनसंख्या में संबंधित परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है ।
- जन्म दर और मृत्यु – दर से क्या अभिप्राय है ? जन्म – दर में वृद्धि के लिए कौन से कारक उत्तरदायी हैं ?
उत्तर – जन्म – दर ( Birth Rate ) : एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों के पीछे जितने बच्चे जन्म लेते हैं , वह जन्म – दर कहलाती है । मृत्यु – दर ( Death Rate ) : एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों के पीछे जितने लोग मरते हैं उसे मृत्यु – दर कहते हैं । यदि किसी समाज में मृत्यु – दर की अपेक्षा जन्म दर अधिक होती है तो निश्चित रूप से उस समाज में जनसंख्या की वृद्धि होती है । यदि जन्म दर की अपेक्षा मृत्यु – दर अधिक है तो निश्चित रूप से जनसंख्या घटने लगती है । जन्म – दर में वृद्धि के लिए कुछ कारक उत्तरदायी हैं । ये कारक हैं : प्रजनन क्षमता में वृद्धि , शारीरिक रोगों से मुक्ति , विवाह की कम आयु , प्राकृतिक कारक , धार्मिक विचार , सामाजिक विचार , निरक्षरता , निर्धनता , भाग्यवाद , कृषि अर्थव्यवस्था , संयुक्त परिवार प्रणाली , स्त्रियों की निम्न सामाजिक स्थिति , मनोरंजन सुविधाओं की कमी आदि । जब जन्म – दर और मृत्यु – दर समान रहती है तो उसे आदर्श जनसंख्या कहा जाता है । ।
- हमारे देश में निर्भरता अनुपात अब भी उच्च क्यों है ?
उत्तर – भारत में निर्धनता अनुपात में वृद्धि हो रही है । जनसंख्या की वृद्धि दर अधिक होने के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है । निर्धनता और बेरोजगारी के कारण बच्चों व बूढ़ों की संख्या में वृद्धि हो रही है । 60 वर्षों से अधिक आयु वाले बूढ़े व्यक्तियों की संख्या लगभग 6 % है जो अन्य लोगों पर आश्रित हैं । स्त्रियों की एक बड़ी संख्या अन्य लोगों पर निर्भर है । 1991 की जनगणना के अनुसार 0-14 वर्ष आयु वाले बच्चों की संख्या 36 प्रतिशत तथा 60 वर्ष से ऊपर वाले व्यक्तियों की संख्या 6 प्रतिशत थी । अत : 42 प्रतिशत जनसंख्या आश्रित जनसंख्या है । शिशु मृत्यु – दर में कमी और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण निर्भरता अनुपात ऊँचा है
- भारत में परिवार कल्याण कार्यक्रम की सफलता में क्या बाधाएँ हैं ?
उत्तर – भारत सरकार पिछले पचास वर्षों से परिवार कल्याण कार्यक्रमों के द्वारा लोगों : कार्यक्रम की असफलता के निम्नलिखित कारण हैं
- जनता का अज्ञान : भारत में धार्मिक विश्वासों , भाग्यवादिता , निर्धनता आदि के कारण भी अनेक व्यक्ति परिवार कल्याण कार्यक्रम की निरंतर उपेक्षा कर रहे हैं ।
- यौन शिक्षा का अभाव : भारत में यौन शिक्षा की कमी के कारण दम्पति परिवार की सीमित रख पाने में सफल नहीं हो पाते । प्रबल यौन इच्छा के कारण परिवार बढ़ते रहते हैं ।
- पर्याप्त सन्तति निरोधक की कमी : भारत में आज भी कोई आदर्श गर्भ निरोधक उपलब्ध नहीं है । जो उपलब्ध भी हैं उनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है ।
- वित्तीय कठिनाई : भारत एक विशाल देश है । देश के प्रत्येक भाग में इस कार्यक्रम को पहुंचाना बहुत कठिन काम है । धन की कमी के कारण यह कार्यक्रम अधिक गति नहीं पकड पा रहा है ।
- परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सुझाव दीजिए ।
उत्तर – परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए :
- जो व्यक्ति परिवार कल्याण कार्यक्रम अपनाते हैं उन्हें करों में छूट दी जानी चाहिए ।
- विवाह की न्यूनतम आयु को कठोरता से लागू करना चाहिए ।
- नियोजित परिवार के बच्चों को शिक्षा शुल्क में रियायत दी जानी चाहिए ।
- निर्धन व्यक्तियों की बस्ती में अधिक परिवार कल्याण दी जानी चाहिए ।
- विद्यालय में जनसंख्या कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की सहायता की जानी चाहिए ।
- परिवार नियोजन कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की सहायता की जानी चाजिए ।
- अधिक लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए पत्र – पत्रिकाओं , दूरदर्शन , रेडियो और अन्य साधनों का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए ।
- गर्भपात की शर्तों को उदार बनाना चाहिए ।
- भारत में जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम बताइये ।
उत्तर – भारत की जनसंख्या में तेज गति से वृद्धि हो रही है । को छोड़कर भारत दूसरे नम्बर पर है । संसार की 16 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है । तेज गति से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण भारत को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । जनसंख्या वृद्धि के मुख्य दुष्परिणाम निम्नलिखित है :
- जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत में कुपोषण की समस्या में वृद्धि हुई है । भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी में तेजी से वृद्धि हो रही है । यद्यपि उद्योगों में वृद्धि हुई है परंतु यह जनसंख्या वृद्धि की तुलना में कम है ।
- जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत में गन्दी बस्तियों का विकास तेजी से हो रहा है । इन बस्तियों में अपराध , मद्यपान , वेश्यावृत्ति , जुआखोरी आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं ।
- संयुक्त परिवार प्रथा का तेजी से विघटन हो रहा है ।
- भ्रष्टाचार में वृद्धि का मुख्य कारण जनसंख्या में वृद्धि ही है क्योंकि व्यक्ति अवैध तरीके से धन कमाकर अपने परिवार की आवश्यकताओं की अधिकतम पूर्ति करना चाहते हैं।
- निर्धनता और बेरोजगारी में वृद्धि जनसंख्या वृद्धि के कारण ही है ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका का मुख्य साधन क्या ?
उत्तर – ( 1 ) ग्रामीण क्षेत्रों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है । इसके अलावा अन्य व्यवसाय का पाये जाते हैं ।
( 2 ) ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक प्राकृतिक पर्यावरण में कार्य करते हैं । अर्थोपार्जन के सीमित होते हैं । रॉस ( Ross ) के अनुसार , ” ग्रामीण जीवन बचत करने का सुझाव देता है ।
( 3 ) ग्रामीण स्तर पर जीवन साधारण होता है । ग्रामीण समाज परंपराओं तथा प्रथाओं अनुसार चलता है । ग्रामीण जीवन में स्थिरता पायी जाती है । सिम्स ( Sims ) के ” कुछ अपवादों के अलावा उसका जीवन भी ऋतुओं के समान निश्चित कालचक्र के अनुसार
( 4 ) ग्राम तथा कृषि में इतना निकटवर्ती संबंध है कि दोनों एक – दूसरे के पर्यायवाची सवय जाते हैं । लिन स्मिथ ( Lynn Smith ) के अनुसार , ” कृषि तथा संग्रहकार्य ग्रामीण अर्थव्यवस्थ के आधार हैं । कृषक तथा ग्रामीण प्राय : पर्यायवाची शब्द हैं । ” कृषि कार्य में कृषक का संबंध प्राकृतिक पर्यावरण जैसे पेड़ , पौधे , पशु आदि से है । यही कारण है कि कृषक के संबंध अन्न व्यक्तियों से अपेक्षाकृत अधिक मानवीय होते हैं । नेल्सन ( Nelson ) के अनुसार , “ कृषि एवं पारिवारिक व्यवसाय है । “
- शहरी क्षेत्रों में जीविका का मुख्य साधन क्या है ?
उत्तर–
( 1 ) ग्रामों के विपरीत नगरों में जीविका के साधनों में विभिन्नता पायी जाती है । नगरी में गैर – कृषि कार्यों की बहुलता पायी जाती है । नगरों में व्यवसायों की विभिन्नता के कारण व्यावसायिक बहुलता पायी जाती है ।
( 2 ) व्यवसायों में बहुलता तथा भिन्नता के कारण नगरों में जीविका के साधन बहु – आयामी होते हैं । नगरों में उद्योग तथा उससे संबंधित व्यवसाय जीविका के मुख्य साधन होते हैं ।
( 3 ) व्यवसायों की बहुलता के कारण ही नगरों में जीविका के साधनों में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण पाया जाता है । नगरों में कार्यों की बहुलता के कारण एक ही व्यक्ति समस्त कार्य स्वयं नहीं कर सकता है । व्यवसायों की बहुलता के कारण अन्योन्याश्रितता बढ़ती है ।
( 4 ) जिन नगरों में मौलिक उत्पादन होते हैं , उन्हें उत्पादन केन्द्र कहते हैं । मौलिक उत्पादन में वस्तुओं को सीधे प्रकृति से प्राप्त किया जाता है । जैसे खान खोदना तथा मछली पकड़ना आदि । द्वितीयक उत्पादन में मौलिक उत्पादन से नवीन वस्तुएँ बनायी जाती हैं । नगर व्यापार तथा वाणिज्य के प्रमुख केन्द्र होते हैं । अत : अनेक व्यक्तियों की जीविका का मुख्य व्यवसाय ( व्यापार ) तथा वाणिज्य होता है । इस प्रकार , नगरों में जीविका के साधन प्रायः द्वितीयक होते हैं । सेवायें भी जीविका का मुख्य साधन होती हैं
- कृषि समुदाय का पर्यावरण से कैसा संबंध है ? विवेचना कीजिए ।
उत्तर – कृषि समुदायों का पर्यावरण से प्रत्यक्ष संबंध होता है । यह तथ्य निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट होता है :
- कृषि समुदाय का पर्यावरण से बहुत नजदीकी संबंध होता है । यही कारण है कि भौगोलिक पर्यावरण कृषि समुदाय से संबंधित व्यवसायों का निश्चायक ( Determinant ) होता है । कृषि का स्वरूप पर्यावरणीय दशाओं से निश्चित रूप से निर्धारित होता है ।
- गंगा – यमुना तथा सिंधु नदो के मैदानों में पर्यावरण कृषि के अनुकूल होने के कारण जनसंख्या का घनत्व भी अधिक पाया जाता है ।
- प्रतिकूल पर्यावरणीय दशाओं में कृषि संबंधी गतिविधियाँ सीमित हो जाती हैं । उदाहरण के लिए रेगिस्तानी तथा पठारी क्षेत्रों में कृषि समुदायों का जीवन तथा जीवनयापन के तौर – तरीके भिन्न होते हैं । हालांकि विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के नवीन आविष्कारों ने पर्यावरणीय प्रतिकूलता पर बहुत सीमा तक विजय प्राप्त कर ली है । वार्ड ( Ward ) के अनुसार , ” पर्यावरण पशु को परिवर्तित करता है , लेकिन मनुष्य पर्यावरण को परिवर्तित करता है । “
- कृषि समुदाय तथा पर्यावरण एक – दूसरे से अंत : संबंधित है । मनुष्य अपने बौद्धिक ज्ञान के आधार पर पर्यावरण से अनुकूलन करता है । मैकाइवर तथा पेज ( Maclver and Page ) के अनुसार , ” मनुष्य अपने को अपने पर्यावरण के अनुकूल बनाता है । ‘ ‘ वनस्पतियों तथा पर्यावरण का घनिष्ठ संबंध है । उदाहरण के लिए चाय असम में तथा कॉफी का उत्पादन मुख्यतः दक्षिण भारत में होता है । इसका कारण यह है कि भिन्न – भिन्न पौधों के लिए भिन्न – भिन्न पर्यावरणों को जरूरत होती है । वनस्पति पारिस्थिति की शास्त्र ( Plant Ecology ) में वनस्पति तथा पर्यावरण का विस्तृत तथा व्यापक अध्ययन किया जाता है । अंत में , हम कह सकते हैं कि कृषि समुदाय पर्यावरण तथा पर्यावरणीय दशाओं से अत्यधिक प्रभावित तथा नियंत्रित होते हैं ।
- कस्बे शहरों से किस प्रकार भिन हैं ?
उत्तर – भारत में नगरीय क्षेत्रों का निर्धारण राज्य सरकारों द्वारा होता है और इसके लिए भिन्न – भिन्न राज्यों ने भिन्न – भिन्न मापदंड निर्धारित किए हैं । जनगणना के आधार पर भी शहरों को परिभाषित किया जाता है । जनगणना अधिकारियों द्वारा किसी स्थान को शहर या कस्वा घोषित करने के लिए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए हैं :
- न्यूनतम जनसंख्या 5000 या उससे अधिक होनी चाहिए ।
- कम से कम 75 प्रतिशत वयस्क पुरुष जनसंख्या कृषि कयों में व्यस्त न होकर दूसरे कार्यों पर आश्रित हो ।
- जनसंख्या घनत्व कम से कम 400 व्यक्ति प्रति किलोमीटर होना चाहिए । भारतीय जनगणना , आकार और जनसंख्या के घनत्व के आधार पर तीन प्रकार के आवासों का निर्धारण किया जाता है : ( i ) वह आवास जिसकी जनसंख्या 1,00,000 या अधिक हो , नगर कहलाता है । ( ii ) पाँच हजार से एक लाख तक की जनसंख्या वाले स्थान कस्बा या शहर कहलाते हैं । ( iii ) नगर की शासन व्यवस्था नगर महापालिका चलाती है , जबकि शहर की नगरपालिका तथा गाँव की पंचायत चलाती है । नगर और शहरों को एक साथ नगरीय वर्ग में तथा शेष आवासों को ग्रामीण वर्ग में रखा गया है । आकार , घनत्व , व्यवसाय – संरचना तथा प्रशासनिक व्यवस्था के आधार पर नगर और कस्बे के बीच अंतर रखा गया है ।
- ग्रामीण जीवन में गरीबी और अशिक्षा के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – ग्रामीण जीवन में कृषक परिवारों की प्रधानता है । उनका प्रकृति से प्रत्यक्ष संबंध है । ग्रामीण परिवेश में परस्पर सहयोग व समुदाय भाव होता है , लेकिन ग्रामीण जीवन में गरीबी और अशिक्षा अंग्रेजों के शासनकाल से ही चली आ रही है । भूमि की गैर – लाभकारी छोटी और बिखरी हुई जोतों के कारण गांवों में निर्धनता बनी हुई है । अभी भवामीण क्षेत्रों में सिंचाई के साधनों का अभाव है । अधिकतर भूमि बंजर पड़ी है । जो भूमि सरकार न अधिग्रहण की है वह भी उपजाऊ नहीं है । ग्रामीण जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत गरीबी की रेखा के नीचे रहता है । अभी भी वे मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं । वहाँ शिक्षा , स्वास्थ्य , आवागमन , संचार और उद्योगों की कमी है । यद्यपि सरकार ने स्वतंत्रता के पश्चात् ग्रामीण जीवन की स्थिति को सुधारने का बहुत प्रयास किया है परन्तु कृषि की उत्पादकता और अन्य सुख – सुविधाओं की कमी के कारण ग्रामीण जीवन अभी भी निम्न स्तर का है ।