जे० कृष्णमूर्ति की जीवनी

जे० कृष्णमूर्ति बीसवीं शती के महान भारतीय जीवनद्रष्टा, दार्शनिक, शिक्षामनीषी एवं संत थे । वे एक सार्वभौम तत्त्ववेत्ता और परम स्वाधीन आत्मविद् थे । वे भारत के प्राचीन स्वाधीनचेता ऋषियों की परंपरा की एक आधुनिक कड़ी थे जिनमें भारतीय प्रज्ञा और विवेक परंपरा नवीन विश्वबोध बनकर साकार हुई थी । 

जे० कृष्णमूर्ति का परिचय

  • जन्म : 12 मई 1895 ।

  • निधन : 17 फरवरी 1986 (ओजई, कैलिफोर्निया)।

  • जन्म-स्थान: मदनपल्ली, चित्तूर, आंध्र प्रदेश । 

  •  पूरा नाम  : जिद्दू कृष्णमूर्ति |

  • माता-पिता : संजीवम्मा एवं नारायणा जिद्दू |

  • बचपन : दस वर्ष की अवस्था में ही माँ की मृत्यु । स्कूल में शिक्षकों और घर पर पिता के द्वारा बहुत पीटे गए। बचपन से ही विलक्षण मानसिक अनुभव ।

  • विशेष : वक्ता, आरंभ में कुछ लेखन कार्य । व्याख्यान के विषय शिक्षा, दर्शन एवं अध्यात्म से जुड़े होते थे। परंपरित शिक्षा प्रणाली से असंतुष्ट । किशोरावस्था में ही सी० डब्ल्यू० लीडबेटर एवं एनीबेसेंट से संपर्क एवं इनका संरक्षण । थियोसोफिकलं सोसाइटी से जुड़े। लीडबेटर इनमें ‘विश्व शिक्षक’ का रूप देखते थे। 1938 में एल्डुअस हक्सले के संपर्क में आए । कई देशों की यात्राएँ ।

     

जे० कृष्णमूर्ति की रचना

  • द फर्स्ट एंड लास्ट फ्रीडम, द ऑनली रिवॉल्यूशन और कृष्णमूर्तिज नोट बुक

जे० कृष्णमूर्ति के बारे में कुछ प्रश्न

1. द फर्स्ट एंड लास्ट फ्रीडम के लेखक कौन थे |

Ans : जे० कृष्णमूर्ति 

2. द ऑनली रिवॉल्यूशन के लेखक कौन थे|

Ans : जे० कृष्णमूर्ति

3. कृष्णमूर्तिज के लेखक कौन थे  | 

Ans : जे० कृष्णमूर्ति

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