Eps Class 12 Chapter 9 Subjective in Hindi

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संसाधन निर्धारण : वित्तीय एवं गौर-वित्तीय

1. सामग्री संसाधन शीर्षक के अन्तर्गत ध्यान में रखने योग्य किन्हीं चार निर्णयों को समझाइये।

उत्तर- (i) संसाधन की आवश्यकता – साहसी को सबसे पहले सुनिश्चित
करना चाहिए कि उन्हें किन साधनों की आवश्यकता है। अपनी आवश्यकता के अनुरूप ही उचित साधनों का चयन किया जाना चाहिए।

(ii) साधनों की पहचान – साहसी विभिन्न साधनों में से पहचान करेगा कि उसे किस साधन की कितनी मात्रा चाहिए और यह कहाँ से किस प्रकार उपलब्ध हो सकेगा?

(iii) संसाधन की किस्म एवं लागत-संसाधन जुटाते समय साहसी को उसकी किस्म पर विचार करते हुए उसका मिलान लागत से करना चाहिए।

(iv) संसाधन खरीद की वित्त व्यवस्था- साहसी को देखना चाहिए कि उक्त संसाधन की खरीद कैसे होगी? उतनी वित्तीय व्यवस्था करने में वह सक्षम है अथवा नहीं। 

2. संसाधन सुविधाओं से आप क्या समझते हैं

उत्तर- संसाधन सुविधाओं के अन्तर्गत मानवीय, भौतिक, तकनीकी व वित्तीय संसाधन को शामिल किया जाता है। उच्च मानवीय स्तर, तकनीकी कुशलता, कुशल वित्तीय सुविधाओं के अभाव में विकास की गति को तीव्र नहीं किया जा सकता है। किसी भी देश की सरकार अपनी आधारभूत सेवाएँ, यथा- पानी, बिजली, स्वास्थ्य, यातायात व वित्तीय प्रबन्धन पर विशेष ध्यान देती है। 

3. वित्तीय संसाधन जुटाने के क्या स्रोत हैं

उत्तर – उद्यमी अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूँजी स्वयं अपने कोष से या बाहरी कर्ज से पूरा करता है। कर्ज व्यापारिक बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से या तो जमानत के आधार पर या बिना जमानत के आधार पर भी प्राप्त किया जा सकता है। यदि उपक्रम का प्रारूप कम्पनी के रूप में है तो शेयर तथा ऋण-पत्र बेचकर वित्त का प्रबन्ध किया जाता है। 

4. तकनीकी संसाधन क्या हैं

उत्तर- तकनीकी संसाधन – तकनीकी संसाधन के अन्तर्गत विभिन्न ऐसी तकनीकें आती हैं, जिनका उपयोग आज के परिप्रेक्ष्य में करना अत्यन्त आवश्यक है। यह तकनीक उत्पादन, उत्पादन की प्रक्रिया, सूचना, संचार, मशीन, यंत्र का परिचालन आदि से सम्बन्धित हो सकती है। आधुनिकता एवं नवीनतम तकनीकों का प्रयोग एक ओर उत्पादन लागत को कम करता है तो दूसरी ओर उत्पाद की गुणवत्ता को भी बढ़ाने में सहायक होता है। 

5. भौतिक संसाधन किन तत्वों से प्रभावित होता है

उत्तर- भौतिक संसाधनों को निम्नांकित तत्व प्रभावित करते हैं-
(i) भूमि कहाँ अवस्थित है? उसकी कितनी मात्रा आवश्यक है? उसकी लागत क्या होगी ?

(ii) उक्त भूमि पर पहुँचने के लिए यातायात की सुविधा, भूमि के आस-पास का परिवेश, मशीन, यंत्र, उपकरण की उपलब्धता, इसकी किस्म, लागत, तकनीक, आपूर्ति में लगने वाला समय। 

6. संसाधनों के गतिकरण में उद्यमी की तीन भूमिका बतायें।

उत्तर- (i) संसाधनों की आवश्यकता – साहसी को सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उसे किन साधनों की आवश्यकता है? अपनी आवश्यकता के अनुरूप ही उचित साधनों का चयन किया जाना चाहिये ।

(ii) संसाधनों की पहचान – साधनों की आवश्यकता तय कर लेने के बाद अब साहसी विभिन्न साधनों में से पहचान करेगा कि उसे किस साधन की कितनी मात्रा चाहिये और यह कहाँ से किस प्रकार उपलब्ध हो सकेगा ?

(iii) रुकावटों का अध्ययन- साधनों को जुटा पाना कोई आसान काम नहीं है। चिति आवश्यक साधन को प्राप्त करने में साहसी को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इन बातों का अध्ययन पहले से ही कर लेना चाहिये ताकि आगे का कार्य आसान रहे। 

7. संसाधनों की गतिशीलता का क्या तात्पर्य है

उत्तर- संसाधन का अर्थ उस माध्यम से है जो व्यक्ति के कार्य सम्पादन के लिए आवश्यक है। एक छात्र चाहे जितना भी कुशाग्र बुद्धि का हो यदि उसे किताब, कॉपी, कलम, विद्यालय, शिक्षक आदि की सुविधा नहीं दी जाये तो वह कुछ नहीं कर सकता। ये वस्तुएँ ही उसकी पढ़ाई के संसाधन हैं। एक कुशल कारीगर के संसाधन लकड़ी एवं अन्य आवश्यक औजार हैं। इसी तरह एक उद्यमी छोटा, मध्यम या बड़ा किसी भी तरह के उपक्रम को स्थापित करना चाहता है तो उसकी यह चाहत तब तक वास्तविकता में नहीं बदल सकती जब तक कि वह इससे सम्बन्धित सभी संसाधनों को जुटा नहीं लेता है। ये संसाधन यत्र-तत्र सर्वत्र बिखरे होते हैं। इन्हें पहचान कर अपनी आवश्यकतानुसार सहेजने का कार्य उद्यमी को करना पड़ता है। 

8. तकनीकी संसाधन को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो तत्वों / घटकों को बतायें।

उत्तर- (i) साहसी को तकनीकी विशेषज्ञों की उपलब्धता एवं तकनीक की लागत, उसकी आवश्यकता एवं उपयोगिता ।
(ii) उत्पादन की किस क्रिया पर कौन-सी तकनीक कारगर साबित होगी, उसका अध्ययन । 

9. भौतिक संसाधनों को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो तत्वों को बतायें।

उत्तर- (1) भूमि की स्थिति, उसकी मात्रा एवं उसकी लागत तथा उक्त भूमि तक पहुँचने के लिए आवश्यक यातायात की सुविधा 

(2) कच्चे माल की उपलब्धता, इसकी किस्म, लागत, आपूर्तिकर्ता क्रय की पूर्ति एवं आपूर्ति में लगने वाला समय इत्यादि । 

10. क्या मानवीय संसाधन उपक्रम को चलाने के लिए एक सक्रिय संसाधन है

उत्तर- उपक्रम को चलाने के लिए मानवीय संसाधन के अतिरिक्त सभी संसाधन निष्क्रिय होते हैं। मानवीय संसाधन उपक्रम को चलाने का एक सक्रिय संसाधन है। 

11. किसी उपक्रम को चलाने के लिए किस तरह के संसाधनों की आवश्यकता होती है?

उत्तर- किसी उपक्रम को चलाने के लिए भूमि, पूँजी, कच्चा माल, श्रम, मशीन, उपकरण, पानी, बिजली, सुरक्षा, यातायात आदि संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। 

12. संसाधन जुटाते समय ध्यान देने योग्य बातें बताइये ।

उत्तर- संसाधन जुटाते समय ध्यान देने योग्य बातें

(i) संसाधनों की आवश्यकता

(ii) संसाधनों की पहचान

(iii) रुकावटों का अध्ययन

(iv) आपूर्तिकर्ता से सम्पर्क

(v) संसाधन की मात्रा एवं समय

(Vi)संसाधन की किस्म एवं लागत

(vii) संसाधन खरीद की वित्त व्यवस्था

13. संसाधनों के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

उत्तर- (1) भौतिक संसाधन, (2) तकनीकी संसाधन, (3) मानवीय संसाधन, एवं (4) वित्तीय संसाधन ।

14. संसाधन क्या है?

उत्तर- संसाधन का अर्थ उस माध्यम से होता है, जो व्यक्ति के कार्य निष्पादन के लिए आवश्यक होते हैं। संसाधन के अभाव में किसी भी उपक्रम की स्थापना मात्र कल्पना बनकर रह जाती है। ये संसाधन सर्वत्र किसी-न-किसी रूप में व्याप्त हैं।

15. संसाधनों को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों का वर्णन करें।

उत्तर- (1) भौतिक संसाधनों को निम्नांकित तत्व प्रभावित करते हैं-

(i) भूमि कहाँ अवस्थित है? उसकी कितनी मात्रा आवश्यक है? उसकी लागत क्या होगी ?

(ii) उक्त भूमि पर पहुँचने के लिए यातायात की सुविधा, भूमि के आस-पास का परिवेश, मशीन, यंत्र, उपकरण की उपलब्धता, इसकी किस्म, लागत, तकनीक, आपूर्ति में लगने वाला समय।

(iii) मशीन एवं यंत्र को स्थापित करने, उसकी मरम्मत आदि की शर्तें ।

(iv) इन संसाधनों की अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन लागत बदलने की सुविधा|

(v) यंत्र, उपकरण, मशीन को चलाने के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता ।

(2) तकनीकी संसाधन को निम्नांकित तत्व प्रभावित करते हैं-

(i) साहसी को स्वयं विभिन्न तकनीकों की जानकारी होनी चाहिए या उसे विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त करनी चाहिये।

(ii) तकनीक के डिजाइन का अवलोकन करते हुए देखना चाहिये कि उसके लिये यह कितना उपयुक्त है?

(iii) किस तकनीक के लिए किस विशिष्ट कर्मचारी की आवश्यकता होगी? यह उपलब्ध है या नहीं ?

(iv) उत्पादन की प्रत्येक प्रक्रिया पर कौन-सी तकनीक कैसे फिट बैठेगी?

3. मानवीय संसाधन को निम्नांकित तत्व प्रभावित करते हैं-

 (i) उपक्रम की प्रकृति के अनुसार कर्मचारियों की संख्या निर्धारित कर लेनी चाहिये।

(ii) कार्य के अनुसार दक्ष कर्मचारियों का चुनाव होना चाहिये।

(iii) कर्मचारियों की योग्यतानुसार कार्य का बँटवारा होना चाहिये।

(iv) कर्मचारियों को काम करने का उचित वातावरण दिया जाना चाहिये ।

(v) कार्य के प्रति कर्मचारियों को अभिप्रेरित किया जाना चाहिये ।

4. वित्तीय संसाधन को निम्नांकित तत्व प्रभावित करते हैं-

(i) व्यवसाय की प्रकृति यदि व्यापारिक है तो कम पूँजी से काम चल जायेगा किन्तु निर्माणी है तो अधिक पूँजी लगेगी।

(ii) व्यवसाय का पैमाना बड़ा है तो अधिक और छोटा है तो कम पूँजी की आवश्यकता होगी।

(ii) यदि व्यवसाय श्रम प्रधान है तो कम पूँजी और यंत्र एवं तकनीक प्रधान है तो अधिक पूँजी लगेगी।

(iv) यदि व्यवसाय में उधार खरीद की अधिक सम्भावना है तो कम पूँजी और ऐसा नहीं है तो अधिक पूँजी रखनी होगी।

16. संसाधनों की गतिशीलता में उद्यमी की क्या भूमिका होती?

उत्तर – उद्यमी की सफलता इस बात में निहित होती है कि वह किस कुशलता से अपने लिए आवश्यक साधनों को जुटाकर उनका समुचित प्रयोग कर पाता है। साधनों को गतिशील बनाने के साथ-साथ उद्यमी को यह भी देखना है कि यह गति अनुकूल दिशा में होनी चाहिए। अतः उसे निम्नांकित कुछ मुख्य बातों पर ध्यान देना चाहिए-

(1) संसाधन की आवश्यकता – साहसी को सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उसे किन साधनों की आवश्यकता है? अपनी आवश्यकता के अनुरूप ही उचित साधनों का चयन किया जाना चाहिये।

(2) संसाधनों की पहचान- साधनों की आवश्यकता तय कर लेने के बाद अब साहसी विभिन्न साधनों में से पहचान करेगा कि उसे किस साधन की कितनी मात्रा चाहिये और यह कहाँ से किस प्रकार उपलब्ध हो सकेगा।

(3) रुकावटों का अध्ययन – साधनों को जुटा पाना कोई आसान काम नहीं है। चिति आवश्यक साधन को प्राप्त करने में साहसी को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इन बातों का अध्ययन पहले से ही कर लेना चाहिये ताकि आगे का कार्य आसान रहे।

(4) आपूर्तिकर्ता से सम्पर्क – प्रत्येक संसाधन, जैसे- भूमि, मशीन, श्रम, पूँजी आदि पर किसी-न-किसी व्यक्ति या संस्था का स्वामित्व होता ही है। अतः साहसी को इन संसाधनों के आपूर्तिकर्ताओं के साथ सम्पर्क स्थापित करके इनकी समयानुसार उपलब्धि के बारे में आश्वस्त हो जाना चाहिये।

(5) साधन की मात्रा एवं समय – किस साधन की कितनी मात्रा और कितने समय के अन्तराल पर आवश्यक होगी? इन बातों का निर्धारण साहसी को करना चाहिये।

(6) संसाधन की किस्म एवं लागत-संसाधन जुटाते समय साहसी को इसकी किस्म पर विचार करते हुए इसका मिलान लागत से करना चाहिये । उसे देखना चाहिये कि संसाधन की उक्त किस्म उसके लायक है या नहीं?

(7) संसाधन खरीद की वित्त व्यवस्था – अन्त में साहसी को देखना चाहिये कि उक्त संसाधनों की खरीद कैसे होगी। उतनी वित्तीय व्यवस्था वह कर पायेगा या नहीं?

17. संसाधनों के विभिन्न प्रकार बतायें।

उत्तर- संसाधन के विभिन्न प्रकारों में निम्नांकित मुख्य होते हैं-

(1) भौतिक संसाधन – इस संसाधन के अन्तर्गत भूमि, स्थान, मशीन, यंत्र, उपकरण, कच्चा माल आदि को शामिल किया जाता है।

(2) तकनीकी संसाधन – तकनीकी संसाधन के अन्तर्गत विभिन्न ऐसी तकनीक आती हैं, जिनका उपयोग आज के परिप्रेक्ष्य में करना अत्यन्त आवश्यक है। यह तकनीक उत्पादन, उत्पादन की प्रक्रिया, सूचना, संचार, मशीन, यंत्र का परिचालन आदि से सम्बन्धित हो सकती है। आधुनिकता एवं नवीनतम तकनीकों का प्रयोग एक ओर उत्पादन लागत को कम करता है तो दूसरी ओर उत्पाद की गुणवत्ता को भी बढ़ाने में सहायकहोता है।

(3) मानवीय संसाधन – जितने भी संसाधन विद्यमान हैं, ये सभी निष्क्रिय होते हैं। इन्हें मानवीय संसाधन ही गतिशील बनाता है। अतः मानवीय संसाधन एक सक्रिय संसाधन होता है। साहसी अपने उपक्रम का कप्तान अवश्य होता है किन्तु अकेले सभी कार्य स्वयं नहीं कर सकता। इसके लिए उसे अन्य मानवीय संसाधन पर निर्भर रहना ही पड़ता है। उपक्रम चलाने के लिए अनेक कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। इसके लिए कर्मचारियों को कई श्रेणी में कार्य एवं आवश्यकता के अनुसार बाँटकर उनकी योग्यतानुसार नियुक्ति की जाती है। अतः मानवीय संसाधन के अन्तर्गत प्रबन्धकीय, गैर- प्रबन्धकीय, तकनीकी, कुशल, अकुशल सभी तरह के कर्मचारी आते हैं। इन सभी के उचित समन्वय के बिना उपक्रम का सफल संचालन नहीं किया जा सकता।

(4) वित्तीय संसाधन- वैसे तो सभी संसाधनों का अपना-अपना महत्व है तथा किसी एक के बिना उपक्रम चलाने की बात नहीं सोची जा सकती किन्तु वित्तीय संसाधन इनमें अति विशिष्ट होता है। ऐसा इसलिये कि अन्य सभी संसाधनों को अपनी ओर खींचने में यह चुम्बMagnet) का कार्य करता है। उपक्रम आरम्भ करने से लेकर उसे ठीक से संचालित करने में हर कदम पर वित्तीय संसाधन की आवश्यकता पड़ती है। उपक्रम की स्थायी पूँजी तथा कार्यशील पूँजी दोनों के लिए वित्त आवश्यक है। भूमि, भवन, संयंत्र, उपस्कर आदि की खरीद के लिए स्थायी पूँजी चाहिये जबकि उपक्रम को संचालित करने के लिए इसकी दैनिक जरूरतों के लिए कार्यशील पूँजी चाहिये ।

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