Hindi Class 12 Chapter 10 Subjective

12th Hindi Chapter 10 Subjective : Here you can find class 12th hindi 100 marks Subjective questions for board exam 2024.अधिनायक subjective questions is very important for bihar board exam 2024. 

अधिनायक

1.हरचरना कौन है? उसकी क्या पहचान है। ?
उत्तर कविता अधिनायकमें हरचरना एक आम आदमी है जिसकी स्थिति स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बड़ी दयनीय हो गयी है। वह फटा सुथन्ना पहने राष्ट्रगीत गा रहा है। उसकीइस दुरावस्था का उत्तरदायी वही अधिनायक है जिसने ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न कर दी हैं कि आज हरचरना जैसा आम आदमी फटे हाल है, उसकी क्या स्थिति हो सकती है यह अनुमान का ही विषय है।

2.हरचरना हरिचरणका तद्भव रूप है, कवि ने कविता में हरचरनाको रखा है, हरिचरण को नहीं, क्यों?

उत्तर – शब्द भावाभियक्ति का साधन भी है और माध्यम भी, हर शब्द की एक व्यंजना रहती है। यहाँ परिस्थिति के अनुसार शब्द प्रयोग है। हरचरणतत्सम शब्द है जिसके साथ संभ्रान्त व्यक्ति का भाव जुड़ा है, वह सभ्य भी हो सकता है खुश भी और सुखी भी सम्पन्न भी, उसमें सांस्कृतिक चेतना भी हो सकती हैं क्योंकि यह संभ्रान्त व्यक्तियों की ही थाती है। यह व्यक्ति विशिष्ट व्यक्ति का ही प्रतिनिधि हो सकता है पर हरचरना तद्भव रूप है, ग्रामीण प्रयोग है जो आम आदमी का प्रतिनिधि है, वह सभ्य है पर सुसंस्कृत नहीं, विपन्न है सम्पन्न नहीं, कष्ट में जी रहा है, फिर भी जनगण-मन गा रहा है। फटे हाल है दबा हुआ है प्रताड़ित है दास है, गुलाम है सर्वथा स्वच्छन्द नहीं और इन सबकी उत्तरदायी वर्तमान व्यवस्था है जिसने हरचरण को हरचरना बना डाला है। यही कारण है कि यह प्रयोग उचित एवं सार्थक भी है।

3.अधिनायक कौन है? उसकी क्या पहचान है?
उत्तर – यह अधिनायक सत्ताधारी वर्ग को माना गया है। उसकी पहचान भी बतायी गयी है- वह मखमल पहनता है, पगड़ी छत्र धारण करता है, उसके सिर पर चंवर डुलाया जाता है, वह तोप छुड़वाकर, ढोल बजवाकर अपनी जय-जयकार कराता है और निरीह जन को करना ही पड़ता है यह बात भी सही है, उसके कारण ही आज जनता की यह हालत हो गयी है, फिर भी वह उसका सम्मान करेगी ही, वह विवश है।
4.’जय जय करानाका क्या अर्थ है?
उत्तर- प्रत्येक व्यक्ति यही चाहता है कि उसका गुणगान हो, उसका जय-जयकार हो। हमारे यहाँ तीन ऐष्णाएँ मानी गयी हैं, वित्तेष्णा, दारंष्णा और लोकेष्णा। व्यक्ति सब पर काबू पा सकता है पर लोकेष्णा पर काबू पाना संभव नहीं है। व्यक्ति अपनी प्रतिष्ठा चाहता है, प्रशंसा चाहता है, उसकी सबसे बड़ी लालसा यही होती है, उसकी जय-जयकार हो पर उसके कर्म इतने उत्कृष्ट नहीं होते कि लोग उसकी जय-जयकार करें, तब वह उन्हें प्रेरित करता है और विवश भी कर देता है कि उसका जयगान गाया जाय उसका जय-जयकार किया जाय।

5.डरा हुआ मन बेमनजिसका बाजा रोज बजाता हैयहाँ बेमनका क्या अर्थ है ?

उत्तर – सत्ताधारी अधिनायक यही चाहता है कि सारी जनता उसका गुणगान करे, उसके गीत गाये पर यह सम्भव नहीं क्योंकि मन उसी के गीत गाता है जो प्रिय होता है या महान होता है पर आज की स्थितियों से सत्ताधारी वर्ग के गीत जनता को गाने ही पड़ते हैं, हम कायर हैं निर्बोध हैं पर ये गीत मन से नहीं गाये जा सकते हैं, तो बेमन से ही गाये जा सकते हैं क्योंकि यह गीत दबाव अथवा भय के कारण ही गाये जाते हैं, अतः डरा हुआ बेमन ही उसकी प्रशंसा करता है।

6.हरचरना अधिनायक के गुण क्यों गाता है? उसके डर के क्या कारण हैं ?
उत्तर- सत्ता शक्ति सम्पन्न होती है उसके पास शोषण, उत्पीड़न, अन्याय का विलक्षण हथियार होता है वह उसका कहीं भी, कभी भी प्रयोग कर सकती है। उसकी रोक किसी के भी पास नहीं है। दूसरा रूप है, उसकी असीमित शक्तियाँ, जो किसी को भी बना सकती हैं, किसी को भी बिगाड़ सकती हैं। एक ओर भय भी है, दूसरी ओर लालच शायद खुशामद से कुछ प्राप्त हो सके, यही स्थिति व्यक्ति को यह प्रेरणा देती है कि वह अधिनायक के गुणगान करे, उसके डर का कारण भी स्पष्ट है सारी सत्ता पक्ष कुपित हो गया तो उसका सर्वनाश भी निश्चित है और आज यह सब हो भी रहा है, अतः डरना भी स्वाभाविक है।
 7. ‘बाजा बजानाका क्या अर्थ है ?
उत्तर – उसका सीधा-सा अर्थ है सत्ताधारी का गुणगान करना और उसकी हाँ में हाँ मिलाना, उसके प्रति बिना शर्त पूर्णसमर्पण।

8.कौन-कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक वह महाबली‘ – कवि यहाँ किसकी पहचान कराना चाहता है

उत्तर – यहाँ कौन-कौनव्यंग्यात्मक प्रयोग है, अर्थात् कौन नहीं है। आज की व्यवस्था, सत्तापक्ष इतना भ्रष्ट हो चुका है कि वहाँ ढूँढने से भी एक भी पूरा आदमी नहीं मिल सकता। सब महाबली हैं, किसी पर कोई अंकुश नहीं है, सब व्यवस्था भंग कर चुके हैं यहाँ एक भी व्यक्ति समूचा नहीं मिल सकता, अर्थात् यहाँ कौन नहीं है। महाबली, आज का जन-गण-मन अधिनायक है।

 9. ‘कौन-कौन’ में पुनरुक्ति है, कवि ने यह प्रयोग किसलिए किया है ?
उत्तर – यह कौन-कौन शब्द व्यंग्यात्मक है, अर्थात् यहाँ एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसका व्यक्तित्व उज्ज्वल है। इस सत्ता के हमाम में सब ही नंगे हैं, भ्रष्ट हैं, पीड़क हैं, शोषक हैं। फिर उनमें से छोड़ा किसे जाये, अर्थात् कोई भी ऐसा नहीं है, जिसे उत्तम माना जाय ।
10.
भारत के राष्ट्रगीत ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे’ से इस कविता का क्या सम्बन्ध है? वर्णन करें।

उत्तर- इस कविता से भारत के राष्ट्रगान का ‘अधिनायक’ शब्द लिया गया है, अधिनायक अर्थात् जिसका गुणगान किया जा रहा है। हमारे यहाँ तो लोकतंत्र व्यवस्था है, जनता का शासन जनता के लिए है, फिर यह अधिनायक कहाँ से आ गया ? हुआ यह कि जिन नेताओं ने जनता के हितार्थ शासन पाया वे अब अपना हित करने लगे और जिस जनता ने उनको शासन सौंपा उसको भूल गये। चलो यहाँ तक भी थोड़ा बहुत ठीक था। उन्होंने जनता को लूटना शुरू किया, पीसना शुरू किया, सताना शुरू किया। यही है उस वर्ग का चरित्र जिसको यहाँ उभारा गया है- कौन-कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक वह महाबली डरा हुआ मन बेमन जिसका बाजा रोज बजाता है
 11.
कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर- कविता का सारांश देखिए ।

12.व्याख्या करें- पूरब पश्चिम से आते हैं नंगे बूचे नर-कंकाल, सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है।

उत्तर – प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ रघुवीर सहाय की कविता ‘अधिनायक’ से उद्धृत हैं। यहाँ भारत की स्वतंत्रता के बाद जो मोह भंग की स्थिति आयी जिसने सारी आशा-विश्वास-आकांक्षा को रौंद डाला और लोकतंत्र नंगा नाच कर उठा, उस स्थिति पर कवि ने गहरा व्यंग्य किया हैं। यहाँ उसकी सटीक और साहसपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त हो उठी है, हमारे देश में फैली अराजकता, लूट, मूल्यहीनता, ऊँच-नीच ने आम आदमी को पीस डाला है और पूँजीपतियों तथा व्यवस्था के नायकों की पाँचों अंगुलियाँ घी में डाल दी हैं। व्याख्या – कवि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चोट करते हुए कहता है कि यहाँ चारों ओर भूखों की चीत्कार सुनायी पड़ रही है, वे नंगे हैं, वस्त्रहीन हैं तो दूसरी ओर वे अधिनायक हैं जो सत्ता पर कुंडली मारे पसरे हैं और उसका रस पीकर मोटे तोंदों वाले होते जा रहे हैं, इतना वैभव कि घर में समाता भी नहीं, फिर भी वे शोषक हैं पता नहीं कितना चूसेंगे। वह जो सिंहासन पर बैठा है, वही गरीब जनता को तमगे बाँट रहा है। विशेष – 1. मूल वक्तव्य है व्यवस्थाजनित त्रासदी, पीड़ा, शोषण, अत्याचार, मूल्यहीनता और भ्रष्ट आचरण । 2. यह सब कवि को सता रहा है- वह चाहता है सामाजिक न्याय हेतु संघर्ष होना चाहिए। 3. भाषा सरल है। 4. शैली व्यंग्यात्मक एवं व्यंजना प्रधान है।

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